नाहन (रेणु कश्यप): उत्तराखंड व हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश की सीमा से नजदीक होने के कारण पांवटा साहिब अपराध के लिए हमेशा ही संवदेनशील रहा है। मूलत: शिमला जिला के जुब्बल के धार गांव के रहने वाले इंस्पेक्टर अशोक चौहान के हवाले गुरु की नगरी है।
15 साल की उम्र में अपने वॉलीबाल के जुनून को लेकर घर से निकले थे। तब से आज तक घर से बाहर ही हैं। चंद महीनों में अगर एसएचओ साहब की उपलब्धियां देखी जाएं तो काबिल-ए-तारीफ हैं। 33 वर्षीय इंस्पेक्टर अशोक ने हत्या की दो ऐसी वारदातों की गुत्थी सुलझाकर सामने रख दी, जो खुद पुलिस के अधिकारियों को टेढ़ी खीर लग रही थी। इसमें शालू व स्कूल टीचर सुनीता नेगी हत्याकांड शामिल हैं।
इसके अलावा चंद रोज पहले सिरमौरी ताल के नजदीक खडड में युवक व युवती की मौत का मामला भी आइनें की तरह साफ कर दिया है। यह अलग बात है कि इस मामले में अंतिम तस्दीक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में होगी। दो महीनों के भीतर नशाखोरी के खिलाफ 24 मुकदमे दर्ज किए, जिसमें लगभग 28 की गिरफ्तारी भी हुई। पांवटा शहर में नशे के कारोबारी को धर दबोचने में भी डीएसपी भीष्म ठाकुर के कंधे से कंधा मिलाया।
डयूटी के प्रति निष्ठा देखिए, पत्नी शिमला में टीचर हैं तो बेटा भी मां के साथ ही रह रहा है। यानि परिवार साथ नहीं है। वजह साफ है, डयूटी को अधिक से अधिक टाइम दिया जा सके।
क्यों निकले थे 15 साल की उम्र में घर से?
आप यह सोच रहे होंगे कि पांवटा के थाना प्रभारी अशोक चौहान 15 साल की उम्र में घर से क्यों निकल गए थे, तो चलिए बताते हैं। दरअसल एसएचओ साहब वॉलीबाल के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों प्रतियोगिताओं में पदक हासिल किए हैं। 15 साल की उम्र में साईं हॉस्टल बिलासपुर में दाखिला मिल गया था। 1999 से 2004-05 तक यहीं रहे। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर प्रोफैशनल वॉलीबाल खेला। इसके बाद विश्वविद्यालय में आगे की पढ़ाई की।
पुलिस विभाग में बतौर सब इंस्पेक्टर 2009 में अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद पहली तैनाती कांगड़ा में ली। इसके बाद 2013 तक इसी जिला में सेवाएं दी। 2013 से 2016 तक बिलासपुर में रहे। अब इसके बाद तीसरा जिला सिरमौर है। सन 2003 में एक मर्तबा युवा पुलिस अधिकारी भारतीय वॉलीबाल टीम में शामिल होने के नजदीक भी पहुंच गए थे, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया, क्योंक पांव में चोट लग जाने की वजह से इंडियन कैंप छोडऩा पड़ा।
अब आप समझ चुके होंगे कि इंस्पेक्टर अशोक चौहान ने 15 साल की उम्र में क्यों घर छोड़ा था। अहम बात यह है कि 21 सालों में चंद महीने भी अपने घर नहीं बिताए होंगे। हालांकि इंस्पेक्टर अशोक चौहान कहते हैं कि अंदाजा लगाना मुश्किल है, लेकिन इतना जरूर है कि एक साल में एक सप्ताह से अधिक समय घर पर नहीं बिताया।
15 अगस्त के जिला स्तरीय स्वतंत्रता दिवस में भी पुलिस अधिकारी अशोक चौहान को बेहतरीन कार्यों के लिए सम्मानित किया गया था।