नेरचौक (कपिल सेन) : फोरलेन प्रभावित किसानों व भूमि मालिकों का प्रदेश सरकार की किसान विरोधी नीतियों पर रोष व्याप्त होना शुरू हो गया है। किसानों का कहना है कि प्रदेश सरकार फोरलेन प्रभावितों को 4 गुणा मुआवजा की अदायगी नहीं कर रही है जो कि सरासर गलत है। इसको लेकर फोरलेन संघर्ष समिति की बल्ह इकाई की बैठक का आयोजित किया गया जिसमें 70 के लगभग भूमि मालिकों व किसानों ने भाग लिया। बैठक में समिति ने प्रदेश सरकार के चार गुणा मुआवजा न देने के फैसले का विरोध किया।
किसानों का कहना है कि किसानों व भूमि मालिकों को भूमि अधिग्रहण का मुआवजा भू-अधिग्रहण 2013 के तहत बाजार भाव के आधार पर चार गुणा बनता है जो कि सरकार देने में आनाकानी कर रही है। हिमाचल में लगभग 48 राष्ट्रीय उच्च मार्ग बनने जा रहे हैं। उन में से दो फोरलेन कीरतपुर से मनाली व परवाणु से शिमला का निर्माण कार्य चल रहा है, सरकार इन दो मार्गाें में ही किसानों व भूमि मालिकों से उलझ कर रह गई है।
संघर्ष समिति के बल्ह ईकाई प्रधान मोहन लाल का कहना है कि किसानों के मुआवजे को लेकर कोई पारदर्शिता नजर नहीं आ रही है। बल्ह संघर्ष समिति ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आज तक जों भी सरकारें आई सभी ने किसानों व भूमि मालिकों के सुधार के लिए नए कानून बनाएं। उन्हीं कानूनों में से एक भू-अधिग्रहण कानून भी बना था, जिसमें यह प्रावधान है कि जिस किसान या भूमि मालिक की भूमि का अधिग्रहण होगा उसे चार गुणा मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन हिमाचल सरकार किसानों व भूमि मालिकों की अनदेखी कर रही है। सभी प्रभावित किसान इस निती को लेकर हैरान व परेशान है। किसानों को अगर भूमि का उचित मुआवजा नही मिलता है, तो किसान मजबूरन आंदोलन करने पर बाध्य हो जाएंगे।