हमीरपुर, 10 नवंबर : कहते हैं, जीवन के एक दौर में कंटीले रास्तों को तय करने की हिम्मत व हौसला हो तो फूलों की सेज भी आपका बेसब्री से इंतजार करती है। जीवन की युवा अवस्था कंटीला रास्ता होती है। बड़सर विधानसभा की रहने वाली नीना कुमारी ने जीवन के कंटीले रास्ते को हौंसले से पार कर लिया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि माता-पिता की लाडली बेटी आज नर्सिंग ऑफिसर बन गई है।
मुसीबतों का दौर बचपन से ही शुरू हो गया था। पिता टैक्सी चलाकर घर चलाते है।

घर की आर्थिक स्थिति खराब थी। लेकिन बावजूद इसके पिता ने बेटी को नर्सिंग का कोर्स करवाया। 2018 में बीएससी नर्सिंग की डिग्री प्राप्त कर ली। पिता और नीना की दिली तमन्ना थी की वो नर्सिंग ऑफिसर बने। लेकिन खुदा को कुछ और ही मंजूर था। किस्मत ने करवट ली और संयोगवश 2019 में नैना की शादी हो गई। ससुराल भी मेडिकल फील्ड से संबंधित था, लड़के के पिता और पुत्र मेडिकल लाइन में थे।
पिता ने भी यह सोच के शादी करवा दी कि वे लोग बेटी के सपने को साकार करने में उसकी मदद करेंगे। वर पक्ष ने भी सहमति जताई। किंतु ऐसा कुछ न हुआ अपितु उन्होंने नीना को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। बेटी को घर की चार दीवारी में ही रहने के लिए विवश करने लगे। बाद में मालूम हुआ कि इस रिश्ते की बुनियाद ही कमजोर थी। लड़के के रोजगार के बारे में झूठ बोलकर रिश्ता किया गया था। बताया गया था कि लड़का दिल्ली के निजी हॉस्पिटल में डॉक्टर है। लेकिन ये सब बाद में झूठ साबित हुआ।
इन सब मुसीबतों के बावजूद नीना के पिता ने अपनी ताउम्र जमा पूंजी उसकी कोचिंग पर लगा दी। बेटी को ऑफिसर बनाने का सपना जो देख लिया था। नीना ने भी हिम्मत नहीं हारी और दिन-रात एक कर के पहले ही प्रयास में नर्सिंग अधिकारी बन गई। 1778 वां रैंक प्राप्त कर अब नीना AIIMS ऋषिकेश में सेवाएं देगी। बेटी की सफलता से पिता रमेश चंद फूले नहीं समा रहे।
समाज में आज भी बहु को बेटी का दर्जा नहीं मिल पाया है। लेकिन वह दिन दूर नहीं है जब नीना जैसी बेटियां इस दर्जे को हासिल करेंगी और बार बार समाज की रूढ़िवादी सोच को अपनी मेहनत और लगन से बदलती रहेंगी।