शिमला, 18 सितंबर : हिमाचल प्रदेश विधानसभा (Himachal Pradesh Assembly) के मानसून सत्र (monsoon session) की शुरुआत हंगामी रही। विपक्षी दल भाजपा (bjp) ने प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश से हुए जान-माल के नुकसान के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव मंजूर न होने पर सत्र के पहले ही दिन वॉकआउट (walkout) कर दिया। भाजपा ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम-67 के तहत काम रोको प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा अध्यक्ष को दिया था।

विधानसभा अध्यक्ष से आपदा के मुद्दे पर तुरंत चर्चा की मांग की। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया (Kuldeep Singh Pathania) ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सरकार की ओर से इसी विषय पर नियम-102 के तहत प्रस्ताव लाया गया है और विपक्ष उस प्रस्ताव पर अपनी बात रख सकता है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर (Jairam Thakur) ने काम रोको प्रस्ताव का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश सबसे बड़ी त्रासदी से गुजर रहा है। इससे बड़ा कोई विषय नहीं है और सदन का सारा काम रोक कर इस पर तुरंत चर्चा करवाई जाए। जयराम ठाकुर ने कहा कि आज प्रदेश में हजारों लोग बेघर हुए हैं। 441 लोगों की जान गई तथा आपदा की वजह से प्रदेश 10 साल पीछे चला गया। उन्होंने कहा कि इस विषय पर सरकार द्वारा अलग मंशा से प्रस्ताव लाया जा रहा है।
संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान (Harshvardhan Chauhan) ने कहा कि विपक्ष राजनीति से प्रेरित होकर नियम-67 के तहत प्रस्ताव लाना चाह रहा है। आपदा का विषय राजनीति से हटकर है और इसे लेकर सरकार गंभीर व चिंतित है। उन्होंने कहा कि सदन में आज की कार्यवाही में नियम-102 के तहत आपदा पर चर्चा लगी है। इसके बावजूद भी विपक्षी सदस्य नोटिस दे रहे हैं। हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर सारा कामकाज स्थगित कर नियम-102 में चर्चा करवाने के लिए तैयार है।
सत्तापक्ष के आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन के नेता व मुख्यमंत्री को सारा कामकाज स्थगित कर नियम-102 में चर्चा करवाने की अनुमति दी। इससे समूचा विपक्ष उखड़ गया और उन्होंनेे नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच मुख्यमंत्री ने बरसात से हुए नुकसान को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने संबंधी प्रस्ताव सदन में रखा। बाद में विपक्ष ने सदन से वॉकआउटकर दिया