शिमला, 17 सितंबर : हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के ऊर्जा क्षेत्र में विद्युत व्यापार रणनीतियों और क्रय-विक्रय के समन्वय में क्रांतिकारी बदलाव लाने के दृष्टिगत एकल ऊर्जा ट्रेडिंग डेस्क स्थापित करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इससे प्रदेश में ऊर्जा प्रबंधन में सकारात्मक बदलाव आएगा तथा वित्त वर्ष 2024-25 में लघु, मध्यम और दीर्घकालिक कुशल योजना तैयार करने में मदद के साथ ही ऊर्जा संसाधनों का आर्थिक निक्षेप सुनिश्चित होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल में प्रचुर जल संसाधन उपलब्ध हैं जिससे 24,567 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन का अनुमान है, जबकि अभी तक 172 जलविद्युत परियोजनाओं के माध्यम से 11,150 मेगावाट का ही दोहन किया गया है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र की तीन महत्त्वपूर्ण इकाईयों ऊर्जा निदेशालय (DOE), हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) और हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड (HPSEBL) के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है और सरकार इस पर विशेष ध्यान केन्द्रित कर रही है।
उन्होंने कहा कि संचार की कमी और असमान मूल्य निर्धारण रणनीतियों के कारण कभी-कभी कम दरों पर बिजली का विक्रय और उच्च लागत पर खरीद की जाती है, जिससे अक्षमताएं बढ़ने के साथ ही प्रदेश को राजस्व का भी नुकसान होता है। इस पहल के महत्व पर बल देते हुए ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ऊर्जा निदेशालय, अन्य संस्थाओं के विपरीत, एक विनियमित इकाई नहीं है और विद्युत बिक्री से सारा राजस्व सरकारी प्राप्तियों में प्रवाहित होता है। इसके विपरीत, एचपीपीसीएल और एचपीएसईबीएल के विद्युत क्रय-विक्रय और गतिविधियों को हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (HPERC) द्वारा पूर्व-अनुमोदन आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परिवर्तनकारी एकल ऊर्जा ट्रेडिंग डेस्क विद्युत व्यापार के क्षेत्र में बहुआयामी भूमिका निभायेगा। इससे न केवल विद्युत व्यापार में सुगमता होगी बल्कि यह एचपीएसईबीएल, एचपीपीसीएल और डीओई को समन्वित करते हुए प्रदेश में विद्युत व्यापार की देखरेख करने वाली एक एकीकृत, स्वतंत्र इकाई गठित करने के लिए संरचनात्मक और वित्तीय पहलुओं का भी पता लगाएगा।
उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य विद्युत उत्पादन और वितरण कंपनियों पर लागू नियामक ढांचे के भीतर आपसी निपटान व्यवस्था स्थापित करना है। डेस्क की उन्नत क्षमताएं हाइड्रो और अन्य नवीकरणीय स्रोतों के लिए सटीक ऊर्जा पूर्वानुमान को सक्षम बनाएंगी, जिससे राज्य में उत्पादित बिजली की प्रभावी ढंग से बिक्री की क्षमता में वृद्धि होगी और नवीकरणीय ऊर्जा खरीद दायित्व या हाइड्रो खरीद दायित्व के लाभों में भी बढ़ोत्तरी हो सकेगी। यह समग्र विचलन निपटान तंत्र शुल्क को कम करने में सहायक होगा तथा हिमाचल को देश का अग्रणी हरित ऊर्जा राज्य बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।