नाहन, 01 सितंबर : प्रोजेक्ट एलीफेंट (project elephant) के तहत केंद्र सरकार ने राज्य को 87 लाख रुपए के बजट की स्वीकृति प्रदान की है। खास बात ये है कि पहली किस्त के तौर पर 39 लाख रुपए की राशि वन्य प्राणी विभाग (Wildlife Department) को मिल गई है। करीब 15 साल पहले सिरमौर की पांवटा साहिब घाटी में हाथियों की आवाजाही शुरू हुई थी।

पड़ोसी राज्य के उत्तराखंड (Uttarakhand) के राजा जी नेशनल पार्क (Raja Ji National Park) से हाथियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ था। धीरे-धीरे हाथियों की संख्या बढ़ने लगी। चंद माह पहले हाथी के हमले में एक महिला की भी मौत हो गई। राज्य के वन्य प्राणी विभाग ने केंद्र सरकार से प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत मानव-हाथी संघर्ष से निपटने व प्रबंधन के मकसद से बजट के लिए प्रस्ताव भेजा था।
आपको बता दें, हिमाचल प्रदेश में केवल पांवटा साहिब व नाहन विकास खंडों में ही हाथी की आवाजाही रहती है। जानकारी के मुताबिक वन्यप्राणी विभाग द्वारा स्वीकृत बजट से मैनपावर को बढ़ाया जाएगा। साथ ही हाथियों के व्यवहार के अलावा जुड़ी जानकारियां रखने वालों को ‘गज मित्र’ के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। इसके अलावा हाथियों के झुंडों (herds of elephants) पर नजर रखने के लिए वॉच टावर्स (Watch Towers) का निर्माण भी होगा।
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चंद सालों से हाथियों की संख्या बढ़ने के कारण किसानों के खेतों में भारी तबाही होती है। प्रोजेक्ट एलीफेंट में मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के व्यापक तरीके अपनाए गए हैं। प्रोजेक्ट में हाथियों के गलियारे को भी सुरक्षित करने का प्रावधान है। हाथी परियोजना केंद्र से प्रायोजित योजना है।
आपको बता दें कि देश में प्रोजेक्ट एलीफेंट की शुरुआत 1992 में की गई थी। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में वाइल्ड लाइफ के एपीसीसीएफ (APCCF) अनिल ठाकुर ने कहा कि हाथी परियोजना के तहत केंद्र से 87 लाख रुपए का प्रोजेक्ट मंजूर हुआ है। पहली किस्त के तौर पर 39 लाख रुपए मिले हैं। उन्होंने बताया कि गज मित्रों की नियुक्तियों के अलावा वॉच टावरों का निर्माण होगा, ताकि हाथियों के संभावित नुकसान व खतरे से बचाव हो सके।