नाहन, 29 अगस्त : हिमाचल प्रदेश विद्यालय प्रवक्ता संघ जिला सिरमौर ने एक प्रमुख अखबार में छपे समाचार के माध्यम से की गई उस मांग का कड़ा विरोध किया है जिसमें प्रधानाचार्य पद हेतु मुख्याध्यापको को 80% कोटा देने की मांग की है।

जिला अध्यक्ष सुरेंद्र पुंडीर, जिला महासचिव डॉ. राही, वरिष्ठ उपाध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा, कोषाध्यक्ष विजय वर्मा, पूर्व अध्यक्ष रमेश नेगी पूर्व महासचिव संजय शर्मा, निवर्तमान राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेंद्र नेगी कार्यकारणी सदस्य संध्या चौहान, रमा शर्मा, देवराज कनयाल एवं राजेश शर्मा आदि ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि यह आश्चर्य का विषय है की मात्र 960 की संख्या वाला मुख्य अध्यापक वर्ग 19000 प्रवक्ताओं के विरुद्ध 80% की पदोन्नति की मांग कर रहा है, जबकि वास्तविकता में उनका पदोन्नति कोटा (promotion quota) केवल पांच प्रतिशत बनता है।
जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र पुंडीर ने आरोप लगाया कि मुख्याध्यापक (headmaster) पद पर हो रही पदोन्नति में पहले ही 62.5 % स्नातक शिक्षकों के साथ अन्याय हो रहा है। इसमें बैचवाइज़ 37,5%, सीएंडवी से 15% प्रशिक्षित स्नातक तथा 10% जेबीटी से पदोन्नति हुए स्नातक शिक्षक है, जिन्हे सीधी भर्ती के स्नातक शिक्षको के कनिष्ठ माना जाता है। जबकि उन्हें मुख्याध्यापक पद पर पदोन्नत होने का अवसर नही मिलता। सीधी भर्ती वाले मात्र 37.5% प्रशिक्षित शिक्षक (trained teacher) मुख्याध्यापक के 100% पद पर पदोन्नत (promoted) होने का लाभ ले रहे हैं।
संघ पदाधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में जहां मुख्य अध्यापकों की संख्या मात्र 960 है। वही प्रवक्ताओं के कुल 19000 पद सृजित है। इस प्रकार प्रधानाचार्य (principal) हेतु कुल 19960 पद है। यदि संख्या के अनुसार इन पदों को देखा जाए तो मुख्य अध्यापकों का कोटा 5% बनता है। नियमों के तहत इस बात का भी प्रवक्ता संघ ने कड़ा विरोध किया है कि मुख्याध्यापक वर्ग को 2 वर्ष के सेवाकाल की पात्रता शर्त में छूट दी जाए, यदि ऐसा किया जाता है तो प्रोबेशन (probation) काल में हिमाचल सरकार को सभी विभागों के लाखों कर्मचारियों को छूट देनी होगी।
प्रवक्ता संघ ने मांग की है कि वर्तमान में यदि मुख्य अध्यापक कोटे से प्रधानाचार्य पद हेतु पात्र उम्मीदवार उपलब्ध नहीं है तो सभी पदों को राइडर (rider) की जगह रोस्टर (roster) के आधार पर प्रवक्ताओं से ही भरा जाना चाहिए। बहुत लम्बे समय से प्रवक्ताओं के साथ पदोन्नति का कोटा न बढ़ा कर अन्याय हो रहा है।