सुंदरनगर, 27 अगस्त : सुकेत रियासत के ऐतिहासिक महामाया मंदिर के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बीते कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से मंदिर के दाहिनी ओर के भाग में गहरी दरारें पड़ गई हैं। यदि आने वाले दिनों में मौसम की मार इसी प्रकार रहती है तो मंदिर के एक ओर भवन के साथ मंदिर परिसर के गिरने का खतरा भी बन सकता है।

फिलहाल मंदिर प्रशासन द्वारा राजा हरि सेन के निर्देशानुसार दरारों वाले स्थल और डंगे को तिरपाल लगाकर ढका गया है। इसके साथ ही मंदिर के इन कार्यों को देखने वाले ठेकेदार को दरारों को भरने के लिए कहा गया है। इसी को लेकर मंदिर में आई दरारों से उत्पन्न खतरे को देखते हुए नगर परिषद की टीम ने महामाया मंदिर परिसर का दौरा किया। नगर परिषद अध्यक्ष जितेंद्र शर्मा ने वार्ड पार्षद कल्पना वर्मा को भूस्खलन की रिपोर्ट तैयार कर शीघ्र नगर परिषद में देने को कहा ताकि समय रहते भवन की नींव में आई दरारों को भरने का कार्य कर संभावित खतरे को कम करने की दिशा में कार्य किया जा सके।
मंदिर के पूर्व पुजारी आचार्य रोशन शर्मा ने कहा कि सुकेत रियासत के ऐतिहासिक महामाया मंदिर के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे है। उन्होंने कहा कि इस रियासत कालीन मंदिर को बचाने के लिए प्रशासन और स्थानीय लोगों को आगे आना चाहिए। वार्ड पार्षद कल्पना वर्मा ने कहां कि क्षेत्र में भारी बारिश होने के कारण मंदिर के दाहिनी ओर के भाग में गहरी दरारें पड़ गई है। जल्द ही आईआईटी मंडी की टीम को यहां पर निरीक्षण करने के लिए बुलाया जाएगा और उचित कदम उठाए जाएंगे।
नगर परिषद सुंदरनगर के अध्यक्ष जितेंद्र शर्मा ने कहा कि मंदिर के एक भाग में आई दरारों को भरने के लिए वार्ड पार्षद को शीघ्र रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। लोगों की आस्था के केंद्र महामाया मंदिर में सुरक्षा की दृष्टि से व्यापक प्रबंध किए जाएंगे।
1932 में सुकेत रियासत के राजा लक्ष्मण सेन ने करवाया था मंदिर का निर्माण
बता दें कि 1932 में सुकेत रियासत के राजा लक्ष्मण सेन ने मंदिर का निर्माण करवाया था। विवाह के कई वर्षों तक इनके संतान नहीं थी। एक दिन सपने में महामाया देवी ने दर्शन देकर पूजा में आई अनियमितताओं का हवाला देकर फिर से पूजा प्रारंभ करने को कहा था।
राजा ने अपने महल के समीप देहरी में महामाया मंदिर का आधुनिक स्वरूप में प्राचीन शिखर शैली का मंदिर बनवाया था। जिसके बाद उन्हें पुत्र रत्न के रूप में राजा ललित सेन की प्राप्ति हुई थी। उन्हें कुल पांच पुत्रों व दो पुत्रियों की प्राप्ति हुई थी। यहां पर दुर्गा, शिव गौरा, गुरु ग्रंथ साहिब कक्ष भी है स्थापित मंदिर में महिषासुरमर्दिनी दुर्गा भगवती, शिव गौरा, अखंड ज्योति कक्ष के साथ दूसरे भाग में महामाया का शयन कक्ष में देवी शैय्या, मां लक्ष्मी के साथ गुरु ग्रंथ साहिब का कक्ष भी है। मुख्य द्वार के समीप केसरी नंदन हनुमान जी का मंदिर है।
मंदिर से होता है देवता व नलवाड़ मेले का समापन
राज्य स्तरीय देवता व नलवाड़ मेले का समापन माता की पूजा अर्चना से होता है। इस दौरान यहां पर देवी-देवताओं के अतिरिक्त हजारों की संख्या में लोग शिरकत करते हैं।