शिमला, 26 अगस्त : हिमाचल प्रदेश के पहले आईवीएफ सैंटर (Arriva IVF Super specialty Centre Shimla) को पहली सफलता मिली है। दरअसल, शादी के 8 साल तक शिशु की किलकारी से वंचित दंपत्ति को अरिवा आईवीएफ सुपर स्पेशलिटी सैंटर शिमला ने शानदार सौगात दी है। 34 वर्षीय महिला करीब 8 साल से मातृत्व सुख से वंचित थी। महिला की गोद में ‘नन्हीं परी’ किलकारियां भर रही है।

बार-बार आईयूआई (IUI Cycle) का चक्कर असफल होने के बाद डॉ. योगिता डोगरा ने अक्तूबर 2022 में शिमला जिला की रहने वाली महिला का पहला आईवीएफ चक्र किया था। सफलतापूर्वक भ्रूण को स्थाापित किया गया। महिला के साथ-साथ केंद्र की टीम की खुशी का ठिकाना उस समय नहीं रहा था, जब पता चला था कि महिला ने गर्भ धारण कर लिया है।
खास बात ये है कि केंद्र में महिला के दो भ्रूण संरक्षित भी हैं। साधारण शब्दों में समझें तो भविष्य में भी महिला इन भ्रूण से आईवीएफ का दूसरा प्रयास भी कर सकती है। आपको बता दें कि डॉ. योगिता डोगरा को आईजीएमसी (IGMC) में स्त्री रोग विशेषज्ञ का एक लंबा तजुर्बा रहा। राष्ट्रीय स्तर की कठिन परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली (AIIMS Delhi) में फर्टिलिटी में डीएम (DM in Fertility) की पढ़ाई करने के लिए एकमात्र सीट हासिल करने में सफल हो गई थी।
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करीब तीन साल तक की कठिन पढ़ाई के बाद वापस लौटने पर आईजीएमसी में कार्य शुरू किया, लेकिन आईवीएफ लैब न होने के कारण डॉ. योगिता डोगरा को मजबूरन इस्तीफा देकर प्रदेश का पहला आईवीएफ सैंटर शुरू करना पड़ा।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत के दौरान डॉ. योगिता ने बताया कि महिला ने शिमला के एक सरकारी अस्पताल में 24 अगस्त को स्वस्थ बेटी को जन्म दिया है। उनका कहना था कि शिमला का पहला आईवीएफ बेबी (First IVF Baby of Shimla) है। उन्होंने कहा कि महिला के तीन एम्ब्रो फ्रिज हैं, वो भविष्य में भी आईवीएफ का प्रयास कर सकती हैं।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में पहले आईवीएफ सैंटर की शुरुआत 25 जुलाई 2022 को की गई थी। महिला 27 जुलाई को अरिवा आईवीएफ सैंटर पहुंची थी। अक्टूबर में आईवीएफ हुआ था।