नाहन, 03 जुलाई : हालांकि, अधिकारिक तौर पर टिटियाना गांव में आयोजित “शांत महायज्ञ” अनुष्ठान का समापन रविवार को हो गया था, लेकिन इसके बाद भी कुछ खास रिवायतों का पालन सोमवार को पांचवें दिन किया गया।
दरअसल, 8 दिन तक उस हवन कुंड की पहरेदारी होगी जहां शाठी व पाशी भाइयों का ऐतिहासिक मिलन हुआ था। इसका उद्देश्य यह है कि कोई भी इसे अशुद्ध ना कर सके। महासू महाराज व माता ठारी शांत के बाद दिन-रात हत्यारबंद पहरेदारों द्वारा हवन कुंड की रक्षा की जाती है। 8 दिन की मियाद पूरी होने के बाद इसे ढक दिया जाएगा। गांव के बुजुर्गों की माने तो इसे दोबारा उस समय खोला जाएगा, जब उन्हें शांत महायज्ञ का आयोजन करना होगा।
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मंदिर के प्रांगण में हवन कुंड मौजूद है। इसकी पहरेदारी करने वालों को “वजीर” भी कहा जाता है। पहरेदार “तलवार” से लैस होते है। शांत महायज्ञ के पूरा होने के बाद अब शाठी पाशी “हवन कुंड” की रक्षा का दायित्व गांव पर है। हवन कुंड को “थाती माटी” भी कहा जाता है। हवन कुंड भाईचारे का प्रतीक है। इसके समक्ष शताब्दियों पूर्व भाईचारे को कायम रखने की सौगंध ली गई थी।
Day 4: महासू देवता व ठारी माता की मौजूदगी में शांत महायज्ञ के अंतिम दिन के खास पल
सोमवार को गांव की दाइयों को भव्य आयोजन में सहयोग करने पर सम्मानित किया गया। समस्त कुराली भोज के टोलुआ तथा शनकवान टोलुआ को भी सम्मानित किया गया। भंडारे में हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

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महिलाओं को विशेष योगदान देने के लिए भंडारे की शुरुआत महिलाओं से की गई। उन्हें पहले भोजन परोसा गया तत्पश्चात ही मेहमान और पुरुष को भोजन दिया गया। कार्यक्रम के विदाई समारोह में महिलाओं का विशेष नृत्य भी आयोजित हुआ। मेहमानों को ढोल-नगाड़ों के साथ विदाई दी गई। गांव की बेटियां भी ससुराल से खासतौर पर आयोजन के लिए पहुंची थी। बेटियों ने अपने दायित्व का बखूबी निर्वाह किया। शादीशुदा बेटियों के लिए विशेष व्यंजन तैयार किए गए। आयोजन समिति द्वारा अलग-अलग समितियों की जिम्मेदारी निभाने वालों को भी सम्मान प्रदान किया गया।

उधर, ग्राम पंचायत प्रधान पार्वती शर्मा ने तथा मंदिर समिति के प्रधान सुरेंद्र शर्मा, प्रज्ञा मंडल के प्रधान दीपचंद शर्मा ने महायज्ञ में शामिल लोगों का धन्यवाद किया जिन्होंने इस महायज्ञ को नया रूप प्रदान किया।
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बता दें कि इंद्रदेव ने भी अपनी अनुकंपा से अपना आशीर्वाद ग्राम वासियों के ऊपर बनाए रखा। जैसे ही सोमवार को कार्यक्रम समाप्त हुआ हल्की बूंदाबांदी भी शुरू हो गई थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण ने कुछ समय के लिए काल को भी रोक दिया था, उसी प्रकार भगवान इंद्र देव ने या महासू महाराज ने शक्ति का प्रदर्शन करते हुए बारिश को रोक दिया था।