शिमला, 2 जुलाई : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पिछले 10 साल से सेवाएं दे रहे एसएमसी शिक्षक के लिए सरकार ने कैबिनेट मंत्री की अध्यक्षता में चार सदस्य कमेटी गठित कर दी है। कमेटी के गठन से एसएमसी शिक्षक खुश नहीं हैं। कारण ये कि सरकार ने इसके लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया है जिसे शिक्षकों ने इसे लंबी अवधि बताया है। दूसरा कमेटी सरकार को जो रिपोर्ट सौंपेगी, उसमें भी ये स्पष्ट ही नहीं है कि किन मांगों पर ये कमेटी बनी है।

एसएमसी शिक्षकों की बात की जाए, तो पिछले 10 सालों से यह 2555 शिक्षक आउटसोर्स आधार पर स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। ये शिक्षक स्थाई पॉलिसी बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में ये शिक्षक सेवाएं दे रहे हैं और इन्हें लंबा समय भी हो गया है। जबकि एसएमसी शिक्षक लंबे समय से केवल नियमितिकरण की ही मांग उठाते आ रहे हैं। ऐसे में अब इन एसएमसी शिक्षकों ने 10 जुलाई को डीसी ऑफिस से शेरे-पंजाब तक रैली निकालने की बात कही है। एसएमसी प्रदेशाध्यक्ष संगीता राजपूत का कहना है कि एसएमसी शिक्षकों के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है।
गौर रहे कि प्रदेश सरकार की ओर से यह कमेटी गठित की गई है। इसमें कमेटी का चेयरमैन शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर को बनाया गया है, जबकि पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह को मेंबर, लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह को सदस्य और शिक्षा सचिव को मेंबर सेक्रेटरी बनाया गया है। यह कमेटी इन दोनों कैटेगरी के शिक्षकों के मुद्दे देखेगी और कैसे उनकी समस्याओं को हल किया जा सकता है।