बिलासपुर, 17 जून : शक्तिपीठ माता श्री नैना देवी (Naina devi temple) के दरबार में वैसे तो हमेशा से ही भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन यहां के कुछ भव्य व सुंदर नजारे भक्तों को अपनी तरफ खींचते है। ऐसा ही एक ऐतिहासिक सरोवर (historic lake) है जिसमें प्राचीन काल से लेकर आज भी कमल के फूल खिल रहे हैं। कहा जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने से दुख, रोग, संकट, जादू टोने का नाश होता है।

सरोवर का इतिहास
प्राचीन काल से विद्यामान माता श्री नैना देवी मंदिर से यह सरोवर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्राचीन एवं ऐतिहासिक कोला वाला टोबा सरोवर को माता श्री नैना देवी का पड़ाव स्थल भी कहा जाता है। कहते हैं कि प्राचीन काल में जब सड़के नहीं होती थी तो ज्यादातर श्रद्धालु आनंदपुर साहिब से पैदल माता श्री नैना देवी के दरबार पहुंचते थे। उस समय आधा रास्ता समाप्त होने पर वह पड़ाव स्थान कोला वाला टोबा में रुकते थे। इस प्राचीन ऐतिहासिक सरोवर में स्नान करके मंदिर के लिए रवाना होते थे।
श्रद्धालु सरोवर से कमल के फूल तोड़ कर माता के चरणों में अर्पित करते थे। जब यह श्रद्धालु ऊंची चढ़ाई चढ़कर वापस कोला वाला टोबा पहुंचते थे तो इस सरोवर में स्नान करके उनकी सारी थकान दूर हो जाती थी। इसलिए इस सरोवर का बहुत महत्व है और श्रद्धालु आज भी काफी संख्या में इस सरोवर के पास पहुंचकर जल के छींटे लेकर अपना जीवन धन्य करते हैं।