शिमला, 16 जून : नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में सलूणी हत्याकाण्ड (murdercase) में मृतक के परिजनों से मिलने जा रहे भाजपा के प्रतिनिधि मण्डल को चंबा पुलिस ने सलूणी बॉर्डर (Saloni Border) स्थित चोहड़ा डैम के पास रोक दिया। मौके पर मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों से आए आदेश और शांति व्यवस्था का हवाला देते हुए भाजपा के प्रतिनिधि मण्डल को आगे नहीं जाने दिया।

प्रतिनिधि मण्डल का नेतृत्व कर रहे हिमाचल के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने पुलिस प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाए रखते हुए मृतक के घर जाकर परिजनों से मिलने का आश्वासन दिया, लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। मजबूरन प्रतिनिधि मण्डल के सभी सदस्य और मौके पर इकट्ठे होकर लोग वहीं बैठ गए, और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मृतक के परिवार को भाजपा की तरफ से पांच लाख रुपए के आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। उन्होंने इस पूरे मामले में हत्यारोपित परिवार की संदिग्ध गतिविधियों का हवाला देते हुए मामले की जांच एनआईए से करवाने की अपनी मांग दोहराई।
इस प्रतिनिधि मण्डल में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, चुराह के विधायक व पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज, डलहौजी विधायक डीएस ठाकुर, नूरपुर के पूर्व विधायक राकेश पठानिया समेत अन्य पार्टी नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सत्ता पक्ष के नेता अजीब तरह के बयान देते है। इस तरह के बयान अराजक तत्वों को शह देते हैं, और सलूणी की घटना इसी तरह के शह देने का परिणाम है। यह हिमाचल शांतिप्रिय है। चम्बा के लोग शांतिप्रिय है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम इस तरह की घटनाओं पर खामोश बैठे रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम आवाज बुलंद करेंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा इस प्रकरण में एक भी राजनीतिक शब्द नहीं है। कहा कि मृतक परिवार के यहां जाना उनके प्रति संवेदना व्यक्त करना, हमारा नैतिक दायित्व है। इसलिए हम यहां आए हैं। आज मां से एक बेटा, बहनों से एक भाई छीन लिया गया है। हमें इंसाफ चाहिए। हम इस घटना को कोई भी रंग नहीं देना चाहते हैं, लेकिन हम ऐसा हिमाचल में नहीं होने देंगे। जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक हम चुप नहीं बैठेंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री सुक्खू के बयान का जवाब देते हुए कहा कि यदि सरकार को पीड़ित दलित परिवार की इतनी ही चिंता थी, तो मुख्यमंत्री को सबसे पहले ही पहुंच जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि हम तो सड़क मार्ग से आए, इसलिए हमें ज्यादा समय लगा। मुख्यमंत्री के पास जल्दी पहुचने की व्यवस्था भी थी, लेकिन नहीं आए, क्योंकि यह उनके लिए मायने ही नहीं रखता है। इस प्रकरण के दौरान चम्बा में दो मंत्री मौजूद थे, लेकिन उन्होंने अपनी जुबान तक नहीं खोली, क्या यही उनकी गंभीरता है।