शिमला, 03 जून : अनुबंध आधार पर नियुक्त चिकित्सकों को एनपीए (NPA) लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ आयोजित बैठक के बाद चिकित्सकों ने शनिवार को पेन डाउन हड़ताल (pen down strike) समाप्त करने की घोषणा की है।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने चिकित्सा अधिकारियों के एनपीए (नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस) को समाप्त नहीं किया है, बल्कि फिलहाल इस पर रोक लगाई गई है। उन्होंने आहरण एवं वितरण अधिकारी (DDO) के अधिकार चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को प्रदान करने, हिमाचल प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन (Himachal Pradesh Medical Corporation) में चिकित्सकों को प्रतिनिधित्व देने और चिकित्सकों की पदोन्नति के लिए विभागीय पदोन्नति कमेटी (DPC) की बैठक समयबद्ध करने की चिकित्सकों की मांगों को भी स्वीकार किया। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि अनुबंध आधार पर नियुक्त चिकित्सकों को एनपीए लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सकों की पेन डाउन हड़ताल तर्कसंगत नहीं थी, क्योंकि राज्य सरकार ने विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत चिकित्सकों के एनपीए को बन्द नहीं किया है और उन्हें पेन डाउन हड़ताल करने से पहले सरकार के साथ इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आगे आना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने पदभार ग्रहण करने के केवल पांच माह में चिकित्सकों के कल्याण के दृष्टिगत अनेक कदम उठाए हैं। राज्य सरकार ने कार्यस्थल में बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में कई सुधार शुरू किए हैं। राज्य सरकार चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ पैरा मेडिकल स्टाफ के विभिन्न पद सृजित कर भरने की दिशा में भी दृढ़ता से कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आपातकालीन विभाग को मजबूत करने के उद्देश्य से राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में आपातकालीन चिकित्सा विभाग (Department of Emergency Medicines) बनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा शोधों और तकनीकों से परिचित होने के लिए विश्व के प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थानों में एक्सपोजर विजिट पर भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे राज्य के लोगों को सरकारी चिकित्सा संस्थानों में विश्व स्तरीय (world class) स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में काफी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ओपीएस बहाली के निर्णय के कारण राज्य की ऋण सीमा में 5500 करोड़ रुपये की कटौती की है। इसके बावजूद राज्य सरकार कर्मचारियों के कल्याण के लिए दृढ़ता से कार्य कर रही है।
बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, विशेष सचिव स्वास्थ्य नीरज कुमार, निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग डॉ. गोपाल बेरी और चिकित्सा संगठनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।