शिमला, 30 मई : हिमाचल सरकार ने नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (NTT) के पदों को भरने के लिए एक नोटिस तैयार किया, जिसमें दर्शाया गया कि सरकार NCTE से सर्टिफाइड को ही मान्य करेगी। भारत सरकार ने 2013 में इस कोर्स को NCTE लिस्ट से बाहर कर दिया व अब यह DIET के अनुसार NTT का कोर्स करवाने की बात कर रहे हैं।

ऐसे में NTT कोर्स धारक मानसिक रूप से परेशान हैं। उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश के 25 हजार से 30 हज़ार युवाओं ने हिमाचल प्रदेश के विभिन्न संस्थानों व NGO से एक या दो वर्ष के NTT कोर्स किए हैं, जिसमें एक वर्ष की फीस 16 से 18 हज़ार व दो वर्ष की 32 से 36 हज़ार है और बाकी खर्च अलग से है। सभी NTT धारक नौकरी की आस लगाए बैठे हैं, ऐसे में समाचार के माध्यम से पता चल रहा है कि हिमाचल में कोई भी संस्थान NGO व NTT कोर्स करवाने के लिए मान्यता प्राप्त नहीं है।
हिमाचल में किसी भी संस्थान व NGO का NTT कोर्स मान्य नहीं है। इस तरह की जानकारियां मिलने से NTT कोर्स धारक मानसिक रूप से परेशान हैं। यदि इन सभी संस्थानों को सरकार की मान्यता नहीं थी तो इन संस्थानों व NGO को कराया ही क्यों गया था। उनका कहना है कि जो कोर्स उन्होंने किए हैं, उनकी स्किल डेवलपमेंट से सर्टिफाइड है।
NTT कोर्स धारकों का कहना है कि जब भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी, उस दौरान सरकार ने NTT कोर्स के लिए कोई मापदंड निर्धारित नहीं किया था और न ही किसी सरकारी इंस्टीट्यूट का जिक्र किया था। जिस कारण स्किल डेवलपमेंट से सर्टिफाइड संस्थानों से NTT कोर्स किए गए है।
NTT कोर्स धारकों ने सरकार से मांग की है कि इस समस्या का जल्द ही कोई समाधान निकला जाए लिए या कोई इस तरह का टैस्ट रखा जाए, जिसे पास करने वालों के लिए कोर्स मान्य हो।