शिमला, 25 मई : हिमाचल सरकार ने डॉक्टरों का नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (NPA) बंद कर दिया है। इस सम्बंध में प्रधान सचिव वित्त मनीष गर्ग की ओर से आदेश जारी हुए हैं। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद यह कदम उठाया गया है। ऐसे में अब स्वास्थ्य विभाग, मेडिकल एजुकेशन, डेंटल, आयुष और पशुपालन विभाग में भर्ती होने वाले नए डॉक्टर को NPA नहीं मिलेगा।
राज्य सरकार के इस कदम से भविष्य में भर्ती होने वाले डॉक्टरों को वित्तीय नुकसान होगा। हालांकि सेवारत डॉक्टरों को यह पूर्व की तरह मिलता रहेगा। माना जा रहा है कि सुक्खू सरकार ने सूबे की माली वित्तीय हालत को देखते हुए NPA बंद करने का निर्णय लिया है।
बता दें कि डॉक्टरों को बेसिक सैलरी का 20 फीसदी NPA दिया जाता है। इसका मकसद डॉक्टरों को चिकित्सीय सेवाओं के लिए प्रोत्साहित करना है। यह भारत सरकार की सिफारिश पर सभी राज्यों में दिया जाता है। इस बीच सुक्खू सरकार के इस निर्णय से प्रशिक्षु डॉक्टर भड़क गए हैं और उन्होंने इसे लेकर आंदोलन की चेतावनी दे डाली है।
आइजीएमसी एससीए के अध्यक्ष शिखिन सोनी ने कहा है कि राज्य सरकार इस फैंसले को जल्द वापिस ले, अन्यथा प्रशिक्षु डॉक्टरों को बड़े आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने कहा है कि सरकार का यह निर्णय डॉक्टरों के पक्ष में नहीं है और उनका मनोबल तोड़ने वाला है। इससे हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। उन्होंने कहा कि NPA बंद करने पर आज इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में केंद्रीय छात्र संघ की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें सरकार के इस कदम की भत्सर्ना की गई।
उन्होंने कहा कि अन्य मेडिकल कॉलेज के प्रशिक्षु डॉक्टरों से भी इस मुद्दे पर बात हुई है और फैसला लिया गया कि सरकार द्वारा डाक्टरों को दिए जाने वाले NPA बंद करने का सामूहिक तौर पर विरोध किया जाएगा और सरकार ने यह फैसला नहीं बदला, तो बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।