शिमला 21 मई : हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के “गुठाण” में तीन दिवसीय डोमेश्वर देवता ( Domeshwar Devta) महायज्ञ आरंभ हो गया है। महा देवयज्ञ में विभिन्न क्षेत्रों से आए 13 देवता भाग ले रहे हैं। बता दें कि बीते पांच वर्षों से 22 रियासत और 18 ठकुराईयों के भ्रमण पर निकले डोमेश्वर देवता मूल स्थान गुठान पहुंचे है।
इसी को लेकर देवयज्ञ (Dev Yagya) का आयोजन किया जा रहा है। देवता सम्राज्य से जुड़ी 22 रियासतों के लोग अनुष्ठान में हिस्सा ले रहे हैं। मंदिर समिति के पदाधिकारी सुभाष भंडारी ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों के 13 देवता गुठान पहूंच चुके हैं। परंपरा के अनुसार देव यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। उन्होने बताया कि देवयज्ञ को स्थानीय भाषा में भडातर कहते हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना काल के कारण इस मर्तबा 22 रियासतों और 18 ठकुराईयों के भ्रमण में देवता को करीब पांच वर्ष लग गए है अन्यथा यह देव यात्रा तीन वर्षों में पूर्ण हो जाती थी। उन्होने बताया कि देवयज्ञ में लोगों के ठहरने और भोजन इत्यादि की कमेटी द्वारा उचित व्यवस्था की गई है।
सुभाष भंडारी ने बताया कि भ्रमण के दौरान डोमेश्वर देवता के रथ की चार सौ अधिक गांवों में जातरे निकाली गई, जिसमें सैंकड़ों लोगों ने देवता का आर्शिवाद प्राप्त किया । उन्होने बताया कि डोमेश्वर देवता तत्कालीन क्योंथल रियासत के महाराजा के वचनबद्ध होकर बीस वर्षों बाद समूचे क्षेत्र का भ्रमण पर निकलते हैं। हालांकि अभी तक देवता को अपने मंदिर में नहीं रखा गया है। प्राचीन परंपराओं के निर्वहन के उपरांत करीब एक वर्ष उपरांत देवता मंदिर में विराजमान होगें। बता दें कि अभी तक देवता गुठाण के कोटेश्वरी माता के मंदिर में रखे गए हैं ।
सुभाष भंडारी ने बताया कि भडातर होने के बाद 24 जून को डोमेश्वर देवता को स्नान के लिए “माता हाटेश्वरी मंदिर” ले जाया जाएगा। तदोपरांत खीण खुलने पर लोग देवता की अपने घर बुलाकर पूजा करवा सकेंगे। खीण खुलने के उपरांत देवता पालकी में विराजमान होगें, जिसमें केवल चार प्रमुख मूर्तियां रखी जाएगी। जबकि देव रथ में अभी कुल 13 मूर्तिया अर्थात मोहरे लगे हैं जिसमें एक अहिचा ब्राह्मण का पुतला भी शामिल है ।
सुभाष भंडारी ने बताया कि अगले वर्ष चैत्र नवरात्रें को डूमेश्वर देवता को कांगड़ा के नगरकोट धाम भ्रमण पर ले जाया जाएगा । नगरकोट में स्नान करने के उपरांत देवता अपने मंदिर गुठान में विराजमान होगें । बताया कि जिन क्षेत्रों भ्रमण कर देवता वापिस लौटे है उन सभी क्षेत्र के लोगं महा देवयज्ञ अर्थात भडातर में भाग ले रहे है ।
ये जुड़ी बातें
हिमाचल प्रदेश के शिमला के ठियोग उपमंडल के गुठाण गांव में एक ऐसा देव भ्रमण होता है। इसके लिए 20 साल का इंतजार किया जाता है। रियासतों के प्रमुख देवता डोमेश्वर देवता 20 साल बाद भ्रमण पर निकलते हैं। भ्रमण के दौरान जगह- जगह पर जातर आयोजित की जाती है। भ्रमण के दौरान देवता रिज मैदान पर भी पहुंचे थे इस दौरान अद्भुत नजारा देखने को मिला था।
डोमेश्वर देवता का इतिहास 500 साल पुराना है, जो जुन्गा रियासत से जुड़ा है। मान्यता है कि डोमश्वर देवता के पिता की कोई संतान नहीं थी. इससे वह काफी परेशान रहते थे,इसलिए उन्होंने मां हाटकोटी (Hatkoti) की कठोर तपस्या की। इसके बाद मां ने पुत्र का आशीर्वाद दिया और डोमेश्वर देवता का जन्म हुआ।