नाहन, 21 मई : हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से अभिभावक बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के मकसद से शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं। इसके विपरीत सिरमौर (Sirmour) के ट्रांसगिरी (Transs Giri) क्षेत्र के दुर्गम क्षेत्र से “जयेश शर्मा” ने सफलता की एक शानदार इमारत लिखी है। अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से संबंध रखता है। रोजाना पैदल स्कूल आने -जाने की थकान।

गत वर्ष बहन साक्षी शर्मा को हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (HPBOSE) की मेरिट सूची में नौवां स्थान प्राप्त हुआ था, लेकिन छोटे भाई जयेश शर्मा ने पहला स्थान अर्जित (Earn) कर समूचे इलाके को तो गौरवान्वित किया ही है। साथ ही यह भी प्रमाणित कर दिया है कि पढ़ाई एकाग्रता (Concentration) से होनी चाहिए, ये मायने नहीं रखता है कि स्कूल गांव (Village) में है या फिर शहर (City) में। जयेश शर्मा ने आर्ट्स संकाय में 97.4 प्रतिशत अंक हासिल किए है।
दिहाड़ीदार दुला राम शर्मा के घर जन्मे “जयेश शर्मा” की माता उमा देवी एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता (Anganwadi worker) है। रोजाना तकरीबन 10 किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के बावजूद भी हिमाचल की मेरिट (Merit List) में पहला स्थान हासिल करना एक दुर्लभ (Rare) बात है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Area) में बच्चों को पारिवारिक जिम्मेदारियां भी निभानी होती है। इसमें पशुओं (Cattle) को चारा(feed) के लिए जंगल जाना व खेतों का कार्य इत्यादि शामिल होता है।
ट्रांसगिरी के शिलाई उपमंडल की जरवा जूनेली पंचायत के कुलहां गांव में शनिवार को उस समय जश्न का माहौल पैदा हो गया, जब वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला जरवा जूनेली के प्रधानाचार्य केदार सिंह सूर्यवंशी ने “जयेश शर्मा” को मेरिट में प्रथम स्थान आने की सूचना दी। कॉलेज की पढ़ाई (College Education) के लिए जयेश शर्मा सोलन महाविद्यालय (Solan College) जाना चाहता है, क्योंकि बड़ी बहन साक्षी भी सोलन (Solan) में ही पढ़ाई कर रही है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में जयेश का कहना था कि वह रोज ही पैदल स्कूल जाया करता था। कई मर्तबा बस (Bus) मिल जाती थी, तो पैदल का सफर नहीं करना पड़ता था, लेकिन शाम को तो पैदल ही लौटना पड़ता था। पहले बहन (Sister) भी इसी स्कूल में पढ़ रही थी, तो वह दोनों मिलकर घर लौटते थे। जयेश शर्मा का कहना है कि वो प्रतिदिन 3 से 4 घंटे पढ़ाई करता था। वो प्रशासनिक अधिकारी (Administrative Officer) बनना चाहता है। ग्रामीण परिवेश में रहते हुए जयेश और साक्षी छुट्टियों में माता पिता की खेतों में मदद भी करते हैं।
उल्लेखनीय है कि जयेश शर्मा ने दसवीं परीक्षा (10th Exam) में 93 प्रतिशत अंक हासिल किए है। स्कूल के प्रधानाचार्य केदार सूर्यवंशी ने बताया कि जयेश शर्मा कभी भी स्कूल से अनुपस्थित नहीं रहा। वह पहली से बारहवीं तक हमेशा ही प्रथम आया है। पहली बार स्कूल का कोई छात्र बोर्ड की परीक्षा में प्रथम स्थान पर आया है।