नाहन, 16 मई : हिमाचल प्रदेश के सिरमौर (Sirmour) जनपद के पांवटा साहिब उपमंडल के गोरखुवाला क्षेत्र में एक अनोखी शादी चर्चा में है। दरअसल, शादी में न तो मंत्रोच्चारण(Chanting) हुआ न ही पंडित मौजूद थे। ब्राह्मण के बिना ही “संविधान” को साक्षी मान जोड़ा परिणय सूत्र में बंध गया। दूल्हा प्रवेश एक शिक्षित युवक है। वो रूढ़ीवादी परंपराओं (orthodox traditions) को तोड़ने को लेकर उत्सुक था।
विवाह में दूल्हा-दुल्हन ने एक-दूसरे को केवल वरमाला डाली। इस दौरान अग्नि को साक्षी मान 7 फेरे लेने की बजाय संविधान की शपथ ली गई।
दुल्हन की शपथ….
मैं निशा संविधान को साक्षी मानकर आपको अपना जीवन साथी स्वीकार करती हूं। विश्वास दिलाती हूं कि जीवन के सफर में हमेशा आपकी संगिनी बनकर साथ निभाऊंगी।
दूल्हे की शपथ…
मैं प्रवेश बाबा साहब भीमराव अंबेदकर जी द्वारा लिखित भारतीय संविधान को साक्षी मानकर निशा को पत्नी स्वीकार करता हूं। आज से जो कुछ मेरा है, उस पर मेरी पत्नी का भी बराबर का अधिकार होगा। समाज के सामने आपको अपना जीवन साथी स्वीकार कर आजीवन मिलकर हर परिस्थिति में साथ चलने का वादा करता हूं। मैं वादा करता हूं कि जो आजादी में खुद के लिए चाहता हूं, वो ही आजादी आप को भी दूं।
प्रवेश का मानना है कि विवाह दो दिलों का मेल है। इसके लिए परंपरागत रीति व कर्मकांड (Rituals) जरूरी नहीं हैं। हालांकि, इस तरह की शादी के लिए वधू पक्ष को मनाना चुनौती साबित हुआ, लेकिन दुल्हन निशा का परिवार भी तैयार हो गया। शादी में पूरे गाजे-बाजे के साथ बारात निकली। वधू पक्ष (Bridal) ने भी बारात के स्वागत में कोई कोर कसर नहीं रखी। अंतर ये था कि दूल्हा-दुल्हन ने देश के संविधान (constitution of India) को साक्षी मानकर एक-दूसरे का हाथ थामा। इसके बाद बारात दुल्हन को लेकर वापस लौट गई।
आपको बता दें कि अनोखी शादी (Unique wedding) का निमंत्रण पत्र (Invitation Card) चंद रोज से वायरल भी हो रहा था। शादी के कार्ड पर भी मंत्रों की बजाय कबीर के दोहे लिखे गए थे। अनोखी शादी का कार्यक्रम 15 मई को मामा स्वागत के साथ शुरू हुआ था। सेहरा बंदी के बाद महिला संगीत भी हुआ। मंगलवार को सुबह बारात प्रस्थान हुआ। शाम को दुल्हन प्रवेश किया गया। मंगलवार रात बाकायदा रात्रि भोज की भी व्यवस्था की गई है।
बता दें कि प्रवेश की बारात गोरखूवाला के धमौण से सालवाला गांव के लिए निकली थी। हालांकि, पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन ऐसा दावा किया जा रहा है कि पहाड़ी प्रदेश में ऐसी शादी पहली बार ही हुई होगी, जिसमें मंत्रोच्चारण नहीं हुआ, बल्कि संविधान को साक्षी माना गया हो।
गौरतलब है कि सोमवार को भी हिमाचल में एक शादी चर्चा का विषय बनी थी। मंडी जनपद में एक दूल्हा, दुल्हन को बुलेट पर लेकर आया था।