मंडी, 12 मई : होमी भाभा विज्ञान शिक्षण केंद्र मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में इंटीग्रेटेड (Tata Institute of Fundamental Research) ) एमएससी- पीएचडी में प्रवेश के लिए चयनित होकर जोगिन्दरनगर के अभय भारद्वाज ने इतिहास रचा है। अभय भारद्वाज का चयन न्यूक्लियर एंड एटॉमिक फिजिक्स (Nuclear and Atomic Physics) में रिसर्च के लिए हुआ है। पूरे देश से इंटीग्रेटेड-पीएचडी में मात्र 18 छात्र ही चयनित हुए हैं। यह संस्थान भारत सरकार द्वारा संचालित देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक है।
हजारों छात्रों ने दी थी यह परीक्षा
TIFR GS में दाखिले के लिए इस वर्ष फरवरी में ही अखिल भारतीय परीक्षा (all india exam) हुई थी। देश भर के हजारों छात्रों ने यह परीक्षा दी थी, जिनमें से मात्र 102 छात्र ही अगले चरण की परीक्षा के लिए क्वालीफाई (qualify) कर पाए। उन सब छात्रों को अगली प्रतियोगी परीक्षा (competitive exam) के लिए मुंबई स्थित संस्थान में बुलाया गया था। गत 10 अप्रैल को मुंबई में इन 102 छात्रों की फिर से परीक्षा हुई जिसमें टॉप 42 को इंटरव्यू के लिए सिलेक्ट किया गया। इस प्रतिष्ठित संस्थान के एक्सपर्ट प्रोफेसरों (expert professors) के पैनल ने 11 अप्रैल को अलग-अलग एक घंटे से भी ज्यादा समय तक इन 42 छात्रों के इंटरव्यू लिए। जिसके बाद 9 मई को फाइनल रिजल्ट घोषित किया गया।
इस प्रतिष्ठित संस्थान में इंटीग्रेटेड एमएससी-पीएचडी में प्रवेश पाने वाले देश भर के 18 छात्रों में अभय भारद्वाज उत्तरी भारत से अकेले छात्र हैं। उल्लेखनीय है कि अधिकतर M.Sc पास छात्र ही TIFR (Tata Institute of Fundamental Research) GS की परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन अभय भारद्वाज ने B.Sc के बाद ही इस परीक्षा को दिया तथा अव्वल दर्जे से पास भी किया। महत्वपूर्ण बात यह है कि IIT JAM की अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा में भी अभय भारद्वाज ने टॉप-20 रैंक में जगह बनाते हुए मुंबई, दिल्ली व कानपुर सहित देश की किसी भी प्रतिष्ठित आईआईटी (Prestigious IIT) में प्रवेश पाने की पात्रता हासिल कर ली है। इससे भी बड़ी बात यह है कि बंगलौर स्थित देश के एक और प्रतिष्ठित संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (Indian Institute of Sciences) में प्रवेश के लिए भी उन्हे बुलावा आ चुका है।

अभय भारद्वाज को हर माह मिलेंगे 21 हजार
अभय भारद्वाज की इस उपलब्धि से न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे उत्तर भारत का गौरव बढ़ा है। TIFR जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ाई एवं रिसर्च करने के लिए उन्हें प्रथम वर्ष हर महीने 21 हजार रुपये फेलोशिप के अलावा पुस्तक ग्रांट के तौर पर 25 हजार रुपये वार्षिक भी मिलेंगे। दूसरे वर्ष हर महीने 31 हजार रुपये फेलोशिप मिलेगी तथा पीएचडी में रजिस्ट्रेशन के बाद हर वर्ष 35 हजार रुपये मासिक फेलोशिप के अलावा लैपटॉप/ मोबाइल व स्टेशनरी आदि खरीदने के लिए 40 हजार रुपये की वार्षिक ग्रांट भी मिलेगी।
अभय ने अलग-अलग स्कूलों से की है 12वीं तक की पढ़ाई
अभय भारद्वाज मूलत मंडी जिला के जोगिन्दरनगर तहसील के निवासी हैं। इनकी माता विधु भारद्वाज पिछले कई वर्षों से सरकारी कॉलेज में अंग्रेजी विषय की सहायक प्रोफेसर हैं, जबकि इनके पिता कुशाल भारद्वाज एक सुप्रसिद्ध समाजसेवी , प्रदेश में सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता तथा जिला परिषद के निर्वाचित सदस्य हैं। अभय भारद्वाज बचपन से ही अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय देते रहे हैं। 10+2 तक अभय ने तीन अलग-अलग स्कूलों में पढ़ाई की तथा हर स्कूल में पढ़ाई में अव्वल आते रहे हैं। 10+2 की पढ़ाई करने के बाद B.Sc Physics Hon’s की पढ़ाई हेतु टैस्ट पास करने व 10+2 के अंकों के आधार पर अभय के सामने तीन विश्वविद्यालयों में से किसी में भी प्रवेश लेने का विकल्प खुला था। अंकों के आधार पर दिल्ली विश्वविद्यालय में भी नॉर्थ कैंपस के कई कॉलेजों (किरोड़ीमल कॉलेज, सेंट स्टीफन कॉलेज, हंस राज कॉलेज सहित 5 टॉप कॉलेजों) में अभ़य के पास एडमिशन लेने का विकल्प था।
हालांकि अभय ने 96.66 प्रतिशत अंकों के आधार पर दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में B.Sc Physics Hon’s में दाखिला लिया था। B.Sc Physics Hon’s के एक सेमेस्टर में अभय ने सभी पांचों पेपर में शत प्रतिशत अंक प्राप्त किये थे, जबकि अंतिम सेमेस्टर में भी उन्होंने टॉप किया था। इसके बावजूद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमएससी करने के बजाए एक वर्ष ड्रॉप करते हुए घर में ही IIT JAM, TIFR GS और IISc की तैयारी शुरू कर दी और तीनों की ही टॉप रैंकिंग में स्थान बनाया।
खास बात यह है कि अभय भारद्वाज ने आज तक किसी भी तरह की प्रतियोगी परीक्षा के लिए न तो कभी ट्यूशन रखी, न ही किसी से कोचिंग ली और न ही कभी कोई अकैडमी ज्वाइन की है। वहीं अभय की माता विधु भारद्वाज तथा पिता कुशाल भारद्वाज ने कहा कि अभय को बचपन से ही फिजिक्स से लगाव था और वह इसमें रिसर्च भी करना चाहता था। जिन प्रतिष्ठित संस्थानों से रिसर्च करने का लाखों छात्रों का सपना होता है। उन संस्थानों में प्रवेश हेतु टॉप लिस्ट में स्थान बनाना सचमुच ही एक विशिष्ट उपलब्धि है, तथा उन्हें अपने बेटे की इस उपलब्धि पर निश्चित ही गर्व है।