शिमला,09 मई : हिमाचल की समृद्ध वन संपदा (Himachal’s rich forest wealth) आर्थिकी सुदृढ़ करने और स्वरोजगार के अवसर सृजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हिमालयी क्षेत्र में चीड़ की पत्तियां (Pine Needles) आसानी से विघटित न होने (non-biodegradable) और अपनी उच्च ज्वलनशील प्रकृति (highly flammable nature) के कारण आग लगने की घटना का मुख्य कारण बनती हैं। हर वर्ष प्रदेश में जंगलों में आग लगने की लगभग 1200 से 2500 घटनाएं होती हैं। इस समस्या के समाधान तथा वन संपदा से स्थानीय लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए प्रदेश सरकार चीड़ की पत्तियों से संपीड़ित (compressed biogas) के उत्पादन पर विचार कर रही है।
राज्य सरकार और ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) के मध्य कम्प्रैस्ड बॉयोगैस (CBG) उत्पादन के लिए एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया है। राज्य में चीड़ की पत्तियों के माध्यम से जैव ईंधन का उत्पादन करने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू करने का भी प्रयास किया जा रहा है। इससे पर्यावरण अनुकूल जैविक कचरे के उचित निपटारे में सहायता मिलेगी।

प्रदेश के वन अपशिष्ट लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अत्याधुनिक पायरोलेसिस (state of the art pyrolysis) और अन्य तकनीकों के माध्यम से चीड़ की पत्तियों के उपयोग से जैव ईंधन के उत्पादन से वनों की आग और ऊर्जा संकट (energy crisis) जैसे मामलों से निपटने में भी मदद मिलेगी। हाल ही में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (MoU) के माध्यम से प्रदेश सरकार और ओआईएल सीबीजी (OIL CBG) सहित नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों (renewable energy resources) का दोहन और इसे विकास में सहयोग करेंगे।
प्रदेश के कांगड़ा, ऊना और हमीरपुर जिलों के बड़े भू-भाग में चीड़ के जंगल हैं। हाल ही में किए गए अनुसंधान से पता चलता है कि चीड़ कीे पत्तियों (Pine Needles) को सीबीजी (CBG) में परिर्वतित किया जा सकता है जो ऊर्जा का एक स्थाई संसाधन हैं। इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगो के लिए चीड़ से बायोगैस का उत्पादन रोजगार का एक अच्छा जरिया साबित हो सकता है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ऑयल इंडिया लिमिटेड (Oil India Limited) ने नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत विकसित करने, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने तथा एक स्थाई ऊर्जा प्रणाली विकसित करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है। ओआईएल के साथ यह समझौता हिमाचल को मार्च-2026 तक देश का पहला हरित राज्य (Green State) बनने की दिशा में सहायक होेगा।
प्रदेश का ऊर्जा विभाग चीड़ की पतियों से सीबीजी के उत्पादन की व्यवहारिता का परीक्षण करने के लिए पत्तियों के नमूनें शीघ्र ही एचपी ग्रीन रिर्सच डेवेलपमेंट सेंटर (HP Green Research Development Center) बैंगलुरू भेजेगा। सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने के उपरान्त इससे पारम्परिक जीवाश्म ईंधन के स्थान पर सत्त ऊर्जा स्रोतों से उत्पादन का मार्ग प्रशस्त होगा और लोगो की आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीबीजी सीएनजी के समान गुणधर्मी हैं और इसका उपयोग नवीकरणीय ऑटोमोटिर्व ईंधन के रूप में किया जा सकता है। सीबीजी में ऑटोमोटिव, औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्र में सीएनजी के स्थान पर उपयोग की क्षमता है। प्रदेश में चीड़ की पत्तियों की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता राज्य के ऊर्जा स्रोतों में बढ़ोतरी का एक मुख्य साधन बन सकती है।
चीड़ की पत्तियों का ईंधन अथवा बिजली के रूप में उपयोग इसके आर्थिक मूल्य में वृद्धि करेगा, जिससे लोग भी इन्हें अधिकाधिक मात्रा में एकत्र करने के लिए प्रेरित होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैव विविधता का संरक्षण (Conservation of Biodiversity) सभी का सामूहिक दायित्व है ताकि पशुओं के चरागाहें सुरक्षित रखी जा सकें। यह तभी संभव है जब हम जंगलों को चीड़ की सूखी पत्तियों से मुक्त कर इनका उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा स्रोेत के रूप में करेंगे।