नाहन, 9 मई : ऐतिहासिक शहर के चौगान मैदान में महाराणा प्रताप की 483 वीं जयंती के अवसर पर राज्य भर से सवर्ण समाज जुटा। देवभूमि क्षत्रिय संगठन एवं सवर्ण मोर्चा की और से आयोजित समारोह में पदमश्री अजय ठाकुर ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की, जबकि माउंटेन गर्ल बलजीत कौर विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद रही।

सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान पदमश्री व अर्जुन अवार्डी अजय ठाकुर ने सबसे पहले हल्दीघाटी के वीर सपूत महाराणा प्रताप को नमन किया। उन्होंने कहा कि भारत का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। इस पवित्र मिट्टी ने महाराणा प्रताप जैसे वीरों को जन्म दिया, जिन पर सदियों तक नाज रहेगा। उन्होंने सम्मेलन में मौजूद जन समूह से आह्वान किया कि अपनी मातृभूमि के वीर सपूतों का इतिहास बच्चों को जरूर बताएं। साथ ही समाज व देश के प्रति जिम्मेदारियों से भी रूबरू करवाना चाहिए।
उन्होंने बच्चों व युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि अपनी सोच को समाज के कल्याण व जन सेवा में लगाएं। नशे से दूर रहें, ताकि देश की उन्नति में अपना योगदान दे सकें। अभिभावकों से कहा कि माता-पिता बच्चों के साथ दोस्ताना लहजे से पेश आएं, ताकि उनकी मनोस्थिति जान सकें। उन्होंने प्रदेश वासियों को महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं दी।

इस मौके पर बतौर विशेष अतिथि पहुंची माउंटेन गर्ल ‘बलजीत कौर’ में लड़कियों को ऊंची उड़ान भरने का जोश भरा। बलजीत ने कहा, आसमान खुला है सभी के लिए, जितनी चाहे उड़ान भर लो। आज लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं है। गर्व से कहा कि तुम लड़की हो। देवभूमि को महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित स्थान बताते हुए बलजीत ने कहा कि गर्व होता है उन्हांेने देवभूमि में जन्म लिया। पहाड़ उनकी ताकत हैं।
इससे पूर्व मुख्यातिथि अजय ठाकुर व विशेष अतिथि बलजीत कौर ने शहर के मालरोड़ पर स्थापित महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर नमन किया।
देवभूमि क्षत्रिय संगठन के संस्थापक रूमित सिंह ठाकुर ने कहा कि महाराणा प्रताप जयंती का राज्य स्तरीय कार्यक्रम नाहन में आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। सवर्ण समाज अपनी मांगों पर अडिग है। कार्यक्रम में हिमाचल व अन्य प्रांतों के करीब डेढ़ दर्जन वक्ताओं ने विचार रखे।
कार्यक्रम का समापन हनुमान चालीसा के पाठ के साथ किया गया। इससे पूर्व सम्मेलन का शुभारंभ रामायण के अखंड पाठ की समाप्ति पर यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ हुआ। बता दें कि सोमवार सुबह रामायण के अखंड पाठ का शुभारंभ ऐतिहासिक चौगान में हुआ था। इसमें संगठन के पदाधिकारियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।