ऊना, 05 मई : उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री चिंतपूर्णी मंदिर में माता छिन्नमस्तिका की जयंती शुक्रवार को धूमधाम से मनाई गई। वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन इस कार्यक्रम का विशेष आयोजन किया जाता है। श्री छिन्नमस्तिका जयंती के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने माता की पावन पिंडी के दर्शन करते हुए पूजा अर्चना की। मंदिर के पुजारी वर्ग द्वारा वीरवार सुबह 8 बजे शुरू किए गए महायज्ञ में शुक्रवार को मंत्रोच्चारण के साथ पूर्णाहुति डाली गई। श्री छिन्नमस्तिका जयंती के अवसर पर माता के मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से दुल्हन की तरह सजाया गया है।

माता श्री छिन्नमस्तिका की जयंती के अवसर पर प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री चिंतपूर्णी को रंग-बिरंगे फूलों के साथ दुल्हन की तरह सजाया गया है। प्रतिवर्ष वैशाख मास की पूर्णिमा को माता श्री छिन्नमस्तिका की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। उसी क्रम में पुजारी वर्ग ने इस आयोजन के लिए वीरवार को 24 घंटे चलने वाला महायज्ञ शुरू किया था। शुक्रवार सुबह महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ-साथ माता की विधिवत पूजा अर्चना की गई। इस मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने श्री चिंतपूर्णी पहुंचकर माता की पावन पिंडी के दर्शन किए।
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब भगवान विष्णु ने मां सती के जलते हुए शरीर के 51 हिस्से कर दिए थे तो इस स्थान पर देवी सती के चरण गिरे थे। चिंतपूर्णी में निवास करने वाली देवी को छिन्नमस्तिका के नाम से भी जाना जाता है।
मार्कंडेय पुराण के अनुसार, देवी चंडी ने राक्षसों को एक भीषण युद्ध में पराजित कर दिया था परंतु उनकी दो योगिनियां (जया और विजया) युद्ध समाप्त होने के पश्चात भी रक्त की प्यासी थी। जया और विजया को शांत करने के लिए देवी चंडी ने अपना सिर काट लिया और उनकी खून की प्यास बुझाई थी।
पौराणिक परंपराओं के अनुसार भगवान शिव छिन्नमस्तिका देवी की रक्षा चारों दिशाओं से करते हैं। पूर्व में कालेश्वर महादेव, पश्चिम में नारायण महादेव, उत्तर में मुचकुंद महादेव और दक्षिण में शिव बारी है। ये सभी मंदिर चिंतपूर्णी मंदिर से बराबर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है चिंतपूर्णी, देवी छिन्नमस्तिका का निवास स्थान है। मंदिर के पुजारी संदीप कालिया ने बताया कि जब माता की छिन्नमस्तिका के रूप में उत्पत्ति हुई, तब यह इस दिवस को छिन्नमस्तिका जयंती के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को माता श्री छिन्नमस्तिका जयंती की बधाई देते हुए माता से जगत कल्याण के लिए भी प्रार्थना की।
मंदिर आयुक्त और उपायुक्त राघव शर्मा ने बताया कि माता श्री छिन्नमस्तिका की जयंती के उपलक्ष में चल रहा मेला शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ रहा है। माता के दर्शन के लिए आ रहे श्रद्धालु के लिए तमाम सुविधाएं जुटाई गई हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर की सजावट के लिए श्रद्धालुओं का ही सहयोग महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने श्रद्धालुओं से मंदिर क्षेत्र में शांति पूर्ण माहौल बनाए रखने की भी अपील की।