शिमला, 04 मई : हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों का पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली को लेकर एसओपी का इंतज़ार खत्म हो गया है। कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) सरकार ने ओपीएस लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए गुरुवार को इस सम्बंध में मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी कर दी है। 12 बिंदुओं की एसओपी में ओपीएस के लाभ मिलने बारे विस्तृत उल्लेख किया गया है।
एसओपी के मुताबिक केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के तहत पात्रता मानदंड पूरा करने वाले जिन एनपीएस कर्मचारियों की 15.05.2003 से 31.03.2023 की अवधि के बीच पहले ही सेवानिवृत्त या मृत्यु हो चुकी है। ऐसे सेवानिवृत्त और मृत कर्मचारी के पात्र परिवार के सदस्य निर्धारित प्रारूप पर विकल्प का इस्तेमाल करने पर 01 अप्रैल 2023 से पेंशन के हकदार होंगे।
एसओपी में कहा गया है कि जो कर्मचारी एनपीएस (NPS) के तहत रहना चाहते हैं, वे इन निर्देशों के जारी होने के 60 दिनों के भीतर इसका विकल्प संबंधित कार्यालय प्रमुख को प्रस्तुत करेंगे। ऐसे कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (जिसे अंशदायी पेंशन योजना के रूप में भी जाना जाता है) में कवर किया जाना जारी रहेगा।

एसओपी के अनुसार एनपीएस के तहत अंशदान (नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का हिस्सा) कर्मचारी की सेवानिवृत्ति तक पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (Development Authority Regulations) विनियमों के अनुसार जमा किया जाएगा।
इसी तरह पुरानी पेंशन योजना के तहत शामिल होने की इच्छा रखने वाले सरकारी कर्मचारियों को भी 60 दिनों के भीतर अनुलग्नक-दो में निर्धारित प्रारूप पर विकल्प देना होगा। ऐसे कर्मचारियों द्वारा अनुलग्नक-3 में निर्धारित प्रारूप पर एक अंडरटेकिंग भी प्रस्तुत करनी होगी। अनुलग्नक-दो और अनुलग्नक-तीन के अनुसार ओपीएस का विकल्प और अंडरटेकिंग कार्यालय प्रमुख को देना होगा।
एसओपी के अनुसार पुरानी पेंशन योजना का विकल्प चुनने वाले सरकारी कर्मचारियों को नियमों के तहत पेंशन लाभ का भुगतान किया जाएगा। बशर्ते कि सरकारी अंशदान और उस पर अर्जित लाभांश राज्य सरकार को जमा किया जाए।
एसओपी में साफ किया गया है कि सीसीएस (पेंशन) नियम 1972 और सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवा) नियम 1960 के तहत लाभों को रेगुलेट करने की प्रक्रिया वही होगी जो 14 मई 2003 को या उससे पहले नियुक्त कर्मचारियों पर लागू होती थी। 15 मई 2003 को या उसके बाद नियुक्त ओपीएस का विकल्प चुनने वाले कर्मचारियों के लिए इन नियमों का यथोचित परिवर्तनों सहित पालन किया जाएगा।
एनपीएस का विकल्प चुनने वाले राज्य सरकार के कर्मचारियों (अर्थात कर्मचारी और नियोक्ता का हिस्सा) का अंशदान एनपीएस के तहत जमा होता रहेगा। क्योंकि यदि किसी कर्मचारी ने अब एनपीएस का विकल्प चुना है, तो वह अपना हिस्सा जमा करने के लिए स्वतंत्र हो सकता है। ऐसे मामलों में सरकारी हिस्सा भी जमा किया जाएगा।
सरकार ने एसओपी में स्पष्ट किया है कि कर्मचारी की ओर से नई व पुरानी पेंशन योजना के लिए दिया गया विकल्प अंतिम व अपरिवर्तनीय माना जाएगा। यदि कोई कर्मचारी निर्धारित अवधि के भीतर किसी विकल्प का इस्तेमाल करने में विफल रहता है तो यह माना जाएगा कि वह नई पेंशन योजना में जारी रहना चाहता है।