हीटिंग वेंटिलेशन के लिए भी होगा कारगर साबित
मंडी, 26 अप्रैल : बड़ी इमारतों में लगे एचवीएसी यानी हीटिंग वेंटिलेशन और एयर-कंडीशनिंग में कोई भी खराबी आने पर अब उसे तुरंत प्रभाव से ढूंढ कर उसकी मरम्मत की जा सकेगी। आईआईटी मंडी ने शोध कर इसके लिए एक नए एल्गोरिदम को विकसित किया है।
बता दें कि बड़े भवनों में एचवीएसी स्थापित किए होते हैं। जो उस भवन के अंदरूनी टेंपरेचर को मैंटेन रखने का काम करते हैं। अंदर की दूषित हवा व बाहर की स्वच्छ हवा इसी एचवीएसी के माध्यम से प्रवाहित होती है। ऐसे में यदि इसमें कोई खराबी आ जाए और उसे ठीक होने में लंबा समय लगे तो उस भवन के अंदर रहना मुश्किल होने लगता है, क्योंकि वहां वेंटिलेशन का ओर कोई साधन नहीं होता।
अमूमन बड़ी इमारतों में इसमें खराबी आने पर उसे ढूंढना काफी मुश्किल हो जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. तुषार जैन व उनकी शोधार्थी डॉ. मोना सुब्रमण्यम ने फ्रांस की लोरेन यूनिवर्सिटी के डॉ. जोसेफ जे. यामे के सहयोग से इस पर शोध किया।
शोध के बाद इन्होंने एक नए एल्गोरिदम को विकसित किया है जो भवनों में स्थापित एचवीएसी सिस्टम में परिचालन संबंधी खराबियों का अपने आप पता लगा लेता है। शोधकर्ता डॉ. तुषार जैन ने बताया कि एचवीएसी में लगे वीएवी यानी वेरिएबल एयर वॉल्यूम टर्मिनल बॉक्स में लगे सेंसर और डैम्पर्स खराब हो सकते हैं। समय-समय पर उनकी मरम्मत की आवश्यकता होती है।
हालांकि, मानवीय प्रक्रिया द्वारा इन खराबियों का पता लगाना और उनकी पहचान करना एक धीमी, महंगी और त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया है। इस समस्या का समाधान करने के लिए आईआईटी के शोधकर्ताओं द्वारा एक ऑटोमेटिक फॉल्ट डिटेक्शन एंड डायग्नोसिस (एफडीडी) एल्गोरिदम विकसित किया है जो बिल्डिंग ऑटोमेशन सिस्टम (बीएएस) या बिल्डिंग एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम (बीईएमएस) के साथ एकीकृत हो जाता है।
यह प्रणाली कर्मचारियों को संभावित समस्याओं की पहचान करने उसका रखरखाव और भविष्यवाणी करने में मदद करती है। इसके साथ ही सिस्टम की खराबी से होने वाले प्रभाव का विश्लेषण भी करती है, बीएएस के लिए उनके महत्व को भी बताती है। जल्द ही सीधे मरम्मत करती है एवं यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि सिस्टम हमेशा उपलब्ध रहे।