नाहन, 25 अप्रैल : सिरमौर के स्थानीय कलाकारों ने सरकारी कार्यक्रमों में उपेक्षा पर मोर्चा खोला है। इस बाबत उपायुक्त को पाती भी सौंपी गई हैै। उपायुक्त को अवगत करवाया गया….सिरमौर में होने वाले मेलों व उत्सवों की सांस्कृतिक संध्याओं में स्थानीय कलाकारों को न तो कोई विशेष तवज्जो दी जाती है, न ही उचित समय और न ही उचित मानदेय मिलता है।
सिरमौरी लोक कलाकार किरनेश पुंडीर व शुभम शर्मा ने कहा कि ऑडिशन प्रक्रिया महज दिखावे के मकसद से ही की जाती है। उदाहरण के तौर पर कलाकारों ने कहा कि नगर परिषद पांवटा साहिब द्वारा आयोजित होला मोहल्ला में स्थानीय कलाकारों ने ऑडिशन प्रक्रिया से गुजरने के बाद गायन प्रस्तुतियां दी। लेकिन अफसोसजनक बात रही कि न तो उचित समय दिया गया और न ही उचित मानदेय। इसके विपरीत हमारे ही स्तर के कलाकारों को बगैर ऑडिशन के ही समय भी मिला, साथ ही अच्छा-खासा मानदेय भी चुकाया गया।
कलाकारों ने कहा कि जिनके मेला कमेटी के साथ अच्छे ताल्लुकात थे, वो ही मंच पर दबदबा बनाए रहे। स्थानीय कलाकारों ने कहा कि ऑडिशन प्रक्रिया में गुणी व निष्पक्ष निर्णायक मंडल का गठन होना चाहिए। इसमें पारदर्शिता, सुर व लय परखने के लिए वाद्य यंत्रों का समावेश होना चाहिए। हरेक कलाकार को एक समान मानदेय, यात्रा शुल्क, खाने-पीने व रहने की व्यवस्था मिलनी चाहिए।
सिरमौरी लोक कलाकार किरनेश पुंडीर ने कहा कि ऑडिशन में भाई-भतीजावाद व सिफारिश जैसी धांधलियों पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये समस्या पांवटा साहिब के होला मोहल्ला की नहीं थी, बल्कि समूचे सिरमौर में ही ऐसा होता है। उन्होंने कहा कि केवल कलाकारों की ही नहीं, बल्कि हमारी लोक संस्कृति का भी अपमान किया जा रहा है। उन्होंने प्रशासन से भविष्य में इस दिशा में उचित कदम उठाने की मांग की है।