शिमला, 24 अप्रैल : दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल “भाजपा” के राष्ट्रीय चीफ ने रविवार शाम पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल (Dr. Rajeev Bindal) को दूसरी बार राज्य अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति दी है। खास बात ये है कि भाजपा ने इस बार क्षेत्रवाद व जातिवाद को किनारे कर काबिलियत को तवज्जो देकर बिंदल को कमान सौंपी है। कांग्रेस व भाजपा हमेशा ही जातीय या फिर क्षेत्रवाद को प्राथमिकता के आधार पर पार्टी अध्यक्ष बनाती रही है।
2020 में बिंदल को हटाकर सुरेश कश्यप को जाति समीकरणों ( caste equations) के आधार पर कमांड सौंपी गई थी। लेकिन अबकी दफा भाजपा (BJP) ने काबलियत को आधार बनाया है। खास बात ये है कि बिंदल ने नाहन विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण खिलाफ होने के बावजूद भी दो चुनाव जीते हैं। डाॅ. बिंदल को पार्टी ने खोया सम्मान तो वापस लौटा दिया, लेकिन ऐसा क्यों हुआ….इसकी वजह राजनीतिक हलकों में तलाश की जा रही है।
भाजपा ने ये कबूल कर लिया है कि लोकसभा चुनाव 2024 में डॉ. बिंदल ही संगठन की कमान को सक्षम तरीके से संभाल सकते हैं। एक वक्त था, जब बिंदल की घेराबंदी की गई थी। सांसद सुरेश कश्यप को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया तो पांवटा साहिब से सुखराम चौधरी पावर मंत्री बना दिए गए थे। यही नहीं, नाहन विधानसभा क्षेत्र से रिटायर्ड मेजर जनरल अतुल कौशिक को हिमाचल प्रदेश निजी शैक्षणिक संस्थान विनियामक आयोग (Himachal Pradesh Private Educational Institutions Regulatory Commission) का अध्यक्ष बनाया गया था। इसके अलावा पच्छाद से बलदेव भंडारी व शिलाई से बलदेव तोमर को भी बड़े ओहदे दिए गए थे।
राजनीतिक बिसात पर हर कोई इस बात से वाकिफ था कि अगर हाल ही के विधानसभा चुनाव में भी कमान बिंदल के हाथ में होती तो पार्टी की स्थिति बेहतर हो सकती थी। विधानसभा चुनाव में भाजपा शिमला संसदीय क्षेत्र की 17 सीटों में से तीन पर ही जीत दर्ज कर पाई है। इसमें से दो सीटें सिरमौर की ही हैं।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रचंड लहर के बावजूद बिंदल अपना चुनाव मात्र 1639 मतों से हारे थे। यानि खेल केवल 820 मतों का था। कांग्रेस प्रत्याशी अजय सोलंकी को 35,291 वोट हासिल हुए थे, जबकि राजीव बिंदल ने 33,652 मत प्राप्त किए थे। पार्टी के भीतर हाशिए पर धकेले जाने के बाद भी बिंदल ने खुद को अपने ही दम पर स्थापित रखा।
मंझे खिलाड़ी…
हालांकि, हर कोई इस बात से वाकिफ है कि बिंदल राजनीति के एक कुशल प्रबंधक हैं। लेकिन अगर सोमवार के घटनाक्रम पर गौर किया जाए तो भी कुशल प्रबंधक होने की बात सार्थक होती है। दरअसल, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालने के बाद मीडिया से बात की, पत्रकारों ने सुक्खू सरकार को लेकर सवाल पूछा तो बेहद चतुराई से विरोधी दल की आलोचना ये कहकर नहीं की कि ओपनिंग ऐसे नहीं करना चाहते, फिर कभी इस पर चर्चा करेंगे।
एक ने पूछा, पार्टी ने आपको कमांडर बनाया है तो हाजिर जवाब बिंदल बोले, मेरे एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बैठे हैं, दूसरी तरफ सांसद सुरेश कश्यप मौजूद हैं। शिमला नगर निगम चुनाव की जिम्मेदारी इनकी है।
गौरतलब है कि निगम के पिछले चुनाव में भाजपा डाॅ. बिंदल की सियासी सूझबूझ के कारण ही कामयाब हुई थी। जनवरी 2020 में बिंदल को पार्टी ने कमान तो सौंपी थी, लेकिन मई 2020 में इस्तीफा ले लिया था। राजनीति के दिलचस्प मोड़ में दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल को दोबारा बिंदल को ही कमान सौंपनी पड़ी है।