हमीरपुर, 24 अप्रैल : डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में अक्तूबर 2022 में गटर में मिले नवजात के शव की गुत्थी नहीं सुलझ पाई है। संदेह के आधार पर डीएनए टैस्ट के लिए भेजा गया एक दंपत्ति का सैंपल नवजात के डीएनए से मैच नहीं हुआ है। आखिर कौन है जो नवजात के शव को अस्पताल के शौचालय में फेंक गया होगा। डीएनए मैच न होने पर पुलिस अब मामले की अन्य पहलू से जांच करेगी। संदेह के घेरे में रहे दंपत्ति के नवजात की भी मृत्यु हो गई थी,

हालांकि दंपत्ति की तरफ से कहा गया था कि उन्होंने अपने मृत बच्चे को दफना दिया है। पुलिस ने संदेह के आधार पर इस दंपत्ति का डीएनए सैंपल गटर में मिले नवजात के डीएनए से मैच करवाने के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा था। लैब की रिपोर्ट में साफ हो गया है कि गटर में मिला नवजात संदेह के घेरे में आए दंपत्ति का बेटा नहीं है। अब पुलिस मामले में किसी और पहलू से जांच करेगी।
क्या है मामला…
डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज के शौचालय के गटर से एक नवजात का शव बरामद हुआ था। शौचालय के अंदर से बदबू आने के बाद जब सफाई कर्मचारियों ने गटर को देखा तो इसके भीतर नवजात का शव फंसा हुआ था। हालांकि इस बात का पता नहीं चल पा रहा था कि नवजात मेल है या फिमेल। इसी दौरान एक प्रवासी दंपत्ति को भी संदेह के घेरे में लिया गया।
हालांकि सीसीटीवी फुटेज में पुलिस को कोई अहम सुराग हाथ नहीं लगा। इसके बाद अस्पताल में जन्मे बच्चों के जन्म के रिकॉर्ड को खंगाला गया। पता चला कि एक दंपत्ति को बेटा हुआ था लेकिन उसकी मृत्यु हो गई। पुलिस के शक की सुई उस दपंत्ति पर घूम गई। बाद में दंपत्ति से पूछताछ की गई तो इन्होंने कहा कि इन्होंने अपने मृत नवजात को दफना दिया है।
पुलिस थाना हमीरपुर के प्रभारी संजीव गौतम का कहना है कि डीएनए सैंपल मिसमैच हुआ है। एक दंपत्ति का डीएनए मृत नवजात के डीएनए से मैच करवाने के लिए फॉरेंसिक भेजा गया था। पुलिस मामले में आगामी कार्रवाई कर रही है।