शिमला, 18 अप्रैल : हिमाचल की 27 साल की बेटी ‘बलजीत कौर’ (Baljeet Kaur) ने साहस व हौसले के दम पर मौत को मात दे दी। चंद घंटों में तीन बार जांबाजी का परिचय दिया। बेटी के वीरतापूर्ण कारनामे को केवल हिमाचल ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया देख रही है। बेटी के साहस ने डिस्कवरी चैनल के पापुलर शो “I Should’nt be alive” का भी स्मरण करवा दिया है।
ये वो बेटी है….जिसने पर्वतारोहण के शुरुआती कैरियर में आर्थिक मदद जुटाने के लिए एक कैंपेन भी चलाया था, ताकि वो माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) को फतेह कर सके। चंद साल पुरानी बात को बलजीत ने सार्थक कर दिखाया है कि वो सामान्य नहीं है। पिता हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) से ड्राइवर के पद से सेवानिवृत हुए हैं। छोटी-मोटी खेती बाड़ी से ही गुजर बसर हो रहा है।

लाजमी तौर पर आपके जहन में एक सवाल तैर रहा होगा….तीन चरणों में कैसे मौत को मात…?
पहली चुनौती:
माउंट अन्नपूर्णा (Mount Annapurna) को बगैर ऑक्सीजन के फतह करने की जिद कर बैठी थी। ताकत, साहस व दृढ़ संकल्प की बदौलत चोटी को फतह भी कर लिया। बिना ऑक्सीजन (oxygen) के ये कार्य असंभव था। दुनिया की दसवीं सबसे ऊंची चोटी को बिना ऑक्सीजन के नाप डाला। 26,547 फीट ऊंची चोटी पर हिमाचल सहित देश को गौरवान्वित करने के बाद बेस कैंप-4 की तरफ बढ़ने के दौरान लापता हो गई।
दूसरी चुनौती:
चोटी को फतह करने के बाद वो बेस कैंप की तरफ बढ़ रही थी। दो शेरपा बिछड़ गए। तकरीबन 7375 मीटर (24,193 फीट) की ऊंचाई पर अकेले होने के बावजूद बलजीत ने साहस नहीं खोया। लापता होने की सूचना नेपाल के मीडिया के माध्यम से भारत भी पहुंच गई। चूंकि अकेले इस ऊंचाई पर जीवित बचने की संभावना शून्य के बराबर ही मान ली जाती है, भारतीय पर्वतारोही (Indian mountaineer) के निधन की खबर सोशल मीडिया में ट्रेंड करने लगी।
एक तरफ बलजीत के पास ऑक्सीजन नहीं थी तो दूसरी तरफ साहस दिखाकर नीचे उतरने की कोशिश कर रही थी। आपको बता दें कि पायनियर एडवेंचर क्लब (Pioneer Adventure Club) ने रेस्क्यू के शुरूआती चरण में ही ये कहा था कि ‘‘हेलीकाॅप्टर से बलजीत नीचे की तरफ बढ़ती हुई नजर आई है।’’ रेस्क्यू टीम ने बमुश्किल बलजीत से रेडियो संपर्क साधा।
विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे हालात में केवल दृढ़ संकल्प व हौसला ही जीवन दे सकता है। शायद बलजीत के जहन में वो कहावत भी ताजा थी….जाको राखे साईंयां मार सके न कोए। निश्चित तौर पर बलजीत को व्यापक प्रशिक्षण, तैयारी व कौशल ने इस कठिन समय से उबरने में मदद की है। पायनियर एडवेंचर ने लिखा कि ‘‘हम बलजीत की उत्कृष्ट उपलब्धि की सराहना करते हैं, वो हम सबके लिए प्रेरणा बनी है।’’
तीसरी चुनौती:
मौत को मात देने में बलजीत को तीसरी चुनौती का सामना भी करना पड़ा। रेडियो सिग्नल (radio signal) के माध्यम से बलजीत से बात हो गई। तीन हेलीकॉप्टर रेस्क्यू (helicopter rescue) करने में जुटे हुए थे। तीसरा इम्तिहान उस समय आया, जब बलजीत को एयरलिफ्ट (Airlift) होना था। हेलीकॉप्टर से हैंग होकर बेस कैंप तक पहुंचना भी हर किसी के लिए संभव नहीं हो सकता। पहले ही 24,193 फीट की ऊंचाई पर अकेले थी। इसके बाद रेस्क्यू टीम के निर्देशों की पालना करनी थी। इस परीक्षा में भी बलजीत बखूबी उत्तीर्ण हो गई।
देर दोपहर जैसे ही आयोजकों ने बलजीत को रेस्क्यू करने के बाद काठमांडू भेजने की जानकारी अपडेट की तो लाखों फॉलोअर्स के चेहरे पर स्माइल आ चुकी थी।
जीवन से जुड़ी कुछ बातें….
पर्वतारोही बलजीत कौर ने 28 अप्रैल 2022 को भी माउंट अन्नपूर्णा को फतह किया था। एक माह के अंतराल में 22 मई 2022 को 8566 मीटर ऊंची माउंट कंचनजंगा (mount kanchenjunga) को भी फतह किया। माउंट एवरेस्ट पर भी बलजीत कौर तिरंगा फहरा चुकी है। सोलन डिग्री कॉलेज में एनसीसी कैडेट रही बलजीत कौर को तत्कालीन रक्षा मंत्री द्वारा साहसिक कारनामों के लिए ‘रक्षा मंत्री पदक’ से भी नवाजा गया था।
हिन्दी विषय में एमए कर चुकी बलजीत ने 2015 में दार्जलिंग में पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स किया है। 2016 में भी बलजीत कौर माउंट एवरेस्ट मिशन (mount everest mission) में शामिल हुई थी, लेकिन इस दौरान ऑक्सीजन मास्क में खराबी आने की वजह से वापस लौटना पड़ा था। 8848.86 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट की चोटी मात्र 300 मीटर दूर रह गई थी। ऑक्सीजन की दिक्कत की वजह से वापस आ गई थी।
इस बार तो बगैर ऑक्सीजन के जाने की जिद कर बैठी थी। रवाना होने से पहले बलजीत कौर ने हिमाचल के खेल व लोक निर्माण मंत्री (Sports and Public Works Minister of Himachal) विक्रमादित्य सिंह से भी मुलाकात की थी।
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ये बोले एसडीएम….
मंगलवार को जैसे ही बलजीत कौर के निधन की खबर ट्रेंड करने लगी तो सोलन प्रशासन भी तेजी से हरकत में आया। उपायुक्त मनमोहन शर्मा के अलावा कंडाघाट के एसडीएम सिद्धार्थ आचार्य (SDM Siddharth Acharya) ने पायनियर एडवेंचर (Pioneer Adventure) व मुख्य आयोजक से संपर्क साध लिया। कंडाघाट के एसडीएम ने कहा कि बलजीत के सुरक्षित होने की जानकारी दोपहर में प्राप्त हो गई थी।
आयोजकों ने बताया कि बलजीत को उपचार के लिए काठमांडू ले जाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बलजीत के लौटने को लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है।
ये बोले हिमाचल के मुख्यमंत्री…
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बोले…‘मैं साहसी, निर्भीक, कुछ अलग करने का मादा रखने वाली माउंटेन गर्ल बलजीत कौर (Mountain Girl Baljeet Kaur) के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। प्रदेश के जिला सोलन के अंतर्गत सायरी क्षेत्र की बलजीत कौर उत्तर-मध्य नेपाल में गंडकी प्रांत के अन्नपूर्णा पर्वत श्रृंखला (Annapurna mountain range) में लापता हो गई थी। कौर की उपलब्धियां व बहादुरी देश व प्रदेश की बेटियों के लिए प्रेरणादायक (inspiring) है।’’
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रेस्क्यू ऑपरेशन
बचाव के दौरान भी बलजीत ने अदम्य साहस का परिचय दिया। कैलाश हेलीकॉप्टर सर्विसेज के कैप्टन क्लॉउडी मार्टिन ने विशेष भूमिका निभाई, उच्च ऊंचाई वाली हेलीकॉप्टर उड़ान ने बचाव को संभव बनाया। निदेशक, मिंगमा दोरची द्वारा भी अहम भूमिका निभाई गई। वो कैप्टन क्लाउडी के साथ थे इस दौरान बलजीत का पता लगाने में मदद की।
बलजीत के नजर आने के बाद संचार मुश्किल था और निश्चित भी नहीं था। जीपीएस डिवाइस के माध्यम से उससे संपर्क करने में सक्षम साबित हुआ। बलजीत खुद को लंबी लाइन (AirLift through Rope) से जोड़ने के लिए समन्वय कर पाई। बलजीत ने शिखर के ठीक नीचे और शिखर शिविर के ऊपर, 7600 मीटर की ऊंचाई पर अपनी छाती के लिए एक अस्थायी साज-सामान तैयार किया और अपनी छाती और कूल्हे लंबी लाइन से जोड़ने में उल्लेखनीय संसाधन कुशलता और साहस का प्रदर्शन भी किया।