नाहन, 15 अप्रैल : यह कारागार नहीं, बल्कि सुधारगृह है। इसमें आपको स्वयं में सुधार लाने हेतु रखा हुआ है, शिक्षा देने हेतु नहीं। इस कारागृह को संस्कार परिवर्तन का केंद्र बना लो इस मे एक दूसरे से बदला लेने के बजाए स्वयं को बदलना है, बदला लेने से समस्या और ही बद जाती है। कारागार के इस एकांत स्थान पर बैठकर स्वयं को परिवर्तित करने के लिए सोचें कि मैं इस संसार में क्यों आया हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या हैं, मुझे परमात्मा ने किस उद्देश्य से यहां भेजा है? मैं यहां आकर क्या कर रहा हूं। ऐसी बातों का चिंतन करने से संस्कार, व्यवहार परिवर्तन होगा।

यह कारागृह आपके जीवन को सुधार लाने हेतु तपोस्थल है। उक्त उद्गार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से आये ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहे। वे आदर्श केंद्रीय कारागार (जेल) में बंद कैदियों को कर्म गति और व्यवहार शुद्धि विषय पर बोल रहे थे।
भगवान भाई ने कहा कि मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल होता है। उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ ऐसा ही नहीं गंवाना चाहिए। उन्होंने बताया कि हमारे मन में पैदा होने वाले विचार कर्म से पहले आते हैं। उन्होंने बन्दियों को बताया कि बीती बात को भुला देना चाहिए तथा आगे की सोचनी चाहिए कि हे परमात्मा मेरे से कोई बुरा कार्य न हो। गलती करने वाले से माफ करने वाला बडा होता है।
इस मौके पर स्थानीय ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से राजयोग शिक्षिका बीके प्रियंका बहन ने बताया कि मनुष्य ने विषय वासनाओं की चादर ओढ़ी हुई है, जो भगवान से विमुख कर देती है। अगर भगवान से सर्व संबंधों से याद किया जाए तो भगवान की शक्ति आ जाएगी और तन-मन में खुशी शांति आ जाएगी व सर्व मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी।
जेल अधीक्षक सुशील कुमार ठाकुर ने भी बन्दियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि आप जैसा सोचोगे वैसा ही बन जाओगे। अत: हमें सदैव अच्छा सोचना चाहिए तथा बुरी आदत को छोड़ देना चाहिए। आज से इस बात का व्रत लो कि हे भगवान मुझे शक्ति दो, कि मैं किसी को दुख न दूं, तो आपके मन में अपने आप बदलाव आने लगेगा।
उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्था का ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के लिए धन्यवाद किया। इस दौरान सहायक जेल अधीक्षक अनिल ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में बी के राजीव, बीके चेतन व जेल स्टाफ उपस्थित था।