नाहन, 14 अप्रैल : सिरमौर के सुदूर ग्रामीण इलाके की बेटियों ने यूजीसी की नेट (UGC-NET) परीक्षा में शानदार तरीके से डंका बजाया है। होनहार बेटियों ने राजनीति शास्त्र, अंग्रेजी, हिन्दी व मनोविज्ञान विषयों में ये परीक्षा क्रैक कर दिखाई है। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक चार बेटियों ने नेट परीक्षा उत्तीर्ण की है, जबकि एक ने नेट के साथ-साथ जेआरएफ (JRF) भी क्रैक कर ली है। बेटियों की सफलता लीक से हटकर है। लाजमी तौर पर इन बेटियों की हौसला अफजाई होनी चाहिए।

कौशल्या चौहान….
शिलाई के बेला गांव की रहने वाली कौशल्या चौहान ने नेट के साथ-साथ जेआरएफ (Junior Research Fellowship) की परीक्षा को भी क्रैक किया है। किसान पिता जागर सिंह व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्यामा देवी के घर जन्मी कौशल्या के निशाने पर नैट व जेआरएफ एक साथ थे। बताया गया कि कौशल्या ने राजनीति शास्त्र में देश भर में चौथा स्थान अर्जित किया है। सोशल मीडिया में कौशल्या को इस सफलता पर बधाई देने वालों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है।
कौशल्या क्षेत्र की लड़कियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनकर उभरी है। खासकर उन लड़कियों के लिए खास प्रेरणा है, जिनके पास अधिक सुविधाएं व संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। सीमित आर्थिक संसाधनों के बावजूद बेला की कौशल्या चौहान ने कठिन परिश्रम की बदौलत जूनियर रिसर्च फेलोशिप (Junior Research Fellowship) हासिल कर पीएचडी तक की पढ़ाई के लिए छात्रवृति (Scholarship) भी हासिल कर ली है। हालांकि, निशाने पर कॉलेज कैडर में सहायक प्रोफैसर (Assistant Professor in College Cadre) का पद भी हैै।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कौशल्या ने कहा कि ग्रैजुएशन की पढ़ाई करने के बाद तैयारी में जुट गई थी। इसी दौरान हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) की लाइब्रेरी में पढ़ाई करने का निर्णय लिया। एक अहम बात में कौशल्या ने कहा कि माता-पिता ने पढ़ाई के लिए भेजा था। लिहाजा, पूरी एकाग्रता केवल परीक्षा को उत्तीर्ण करने पर केंद्रित की हुई थी। कौशल्या ने बताया कि कठिन परिश्रम ही मायने रखता है। असफलता मिलने के बावजूद डटी रही थी।
मनीषा देवी…
करीब 6 माह पहले माता का निधन हो गया। घर की जिम्मेदारी भी आ पड़ी। बावजूद इसके ग्रामीण परिवेश की युवती ने मेहनत जारी रखी। मां की मृत्यु के बाद हौसला डगमगाने लगा था, लेकिन इससे उबर कर मनीषा ने यूजीसी नेट परीक्षा को उत्तीर्ण कर समूचे इलाके को गौरवान्वित किया। बहनों व चाचा-चाची की मदद से मनीषा ने यूजीसी-नेट की राष्ट्रीय परीक्षा को क्रैक कर दिखाया।
खास बात ये है कि मनीषा ने अंग्रेजी विषय में नेट क्लीयर किया है। अमूमन ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे अंग्रेजी विषय में घबराहट महसूस करते हैं, लेकिन मनीषा ने इस मिथ्या को भी गलत साबित कर दिखाया है। काॅलेज स्तर की पढ़ाई को शिलाई में पूरा करने के बाद मनीषा ने शिमला में डेरा डाल लिया।
अक्तूबर 2022 में मां के देहांत के बाद मनीषा ने यूजीसी नेट की परीक्षा का आवेदन किया। आपको बता दें कि मनीषा देवी के पिता बिशन सिंह तहसील कार्यालय शिलाई से चपरासी के पद से रिटायर हुए हैं। संयुक्त परिवार भी मनीषा की सफलता का एक राज है। तीन बहनों में सबसे छोटी मनीषा ने पढ़ाई में एकाग्रता को मूल मंत्र बताया है।
मनीषा ने ये परीक्षा दूसरी बार उत्तीर्ण की है। पहली बार परीक्षा मां के देहांत के 10 दिन बाद दी थी। घर पर शोक चल रहा था। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में मनीषा ने कहा कि ये सही है कि गांव के बच्चों के लिए अंग्रेजी विषय हव्वा रहता है। शिलाई में एमए करने का अवसर मिल गया था। इसके बाद महाविद्यालय के गुरुओं ने नेट के लिए प्रेरित किया। मनीषा ने कहा कि इस समय वो पीएचडी (Ph.D) में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही है।
प्रतीक्षा तोमर….
कमरऊ की परीक्षा तोमर ने मनोविज्ञान विषय में नेट परीक्षा उत्तीर्ण की है। परीक्षा को लेकर देश के 18,933 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। इसमें से 13,054 ने परीक्षा में हिस्सा लिया। बचपन से ही प्रतीक्षा की रुचि मनोविज्ञान में रही है। कमरऊ में सुरेश व सोरतो तोमर के घर जन्मी प्रतीक्षा के माता-पिता शिक्षा विभाग में सेवाएं दे रहे हैं।
प्राथमिक पढ़ाई सतौन से पूरा करने के बाद प्रतीक्षा ने पांवटा साहिब के गुरु नानक मिशन पब्लिक स्कूल से जमा दो की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद सैंट बीड्स काॅलेज शिमला से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की शिक्षा हासिल करने के बाद प्रतीक्षा नेट की तैयारी में जुट गई। प्रतीक्षा ने पहले ही प्रयास में कामयाबी अर्जित की है।
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प्रतीक्षा तोमर का कहना है कि वो रिसर्च के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती है। देश के नामी विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरा करने की ललक है। गौरतलब है कि प्रतीक्षा के पिता अर्थशास्त्र में स्कूल कैडर के प्रवक्ता हैं, जबकि मां शिक्षा विभाग में ही अधीक्षक के पद पर तैनात है।
प्रियंका व प्रवीणा….
हिमाचल प्रदेश के गिरिपार क्षेत्र की सगी बहनों ने यूजीसी की नेट परीक्षा में एक दुर्लभ इबारत लिखी है। शावगा पंचायत के जुईनल गांव की प्रियंका छोटी बहन प्रवीणा से तीन साल पहले स्नातक की पढ़ाई पांवटा साहिब डिग्री काॅलेज से पूरी करती है। इसके बाद पत्राचार के माध्यम से हिन्दी विषय में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करती है।

प्रियंका यूजीसी नेट की परीक्षा की तैयारी में जुट जाती है। इसी दौरान छोटी बहन प्रवीणा भी ग्रैजुएशन पूरी कर लेती है। बड़ी बहन के मार्गदर्शन पर प्रवीणा भी पत्राचार से हिन्दी विषय में एमए कर लेती है। हर कदम पर प्रियंका पढ़ाई की सामग्री को छोटी बहन को उपलब्ध करवाती रही। 13 अप्रैल की शाम यूजीसी की नेट परीक्षा का परिणाम जारी होता है। कठिन परिश्रम परिणाम देता है। प्रियंका व प्रवीणा को एक साथ सफलता मिल जाती है…. https://bit.ly/3mz4xhk