शिमला/कुल्लू, 12 अप्रैल : मां, कहां हो…27 दिन की हो गई हूूं, आपने मुझे अंजली बस में लावारिस छोड़ दिया था। इन्होंने मेरा काल्पनिक नाम भी अंजली ही रख दिया हैै। 60 दिन के भीतर आप नहीं आए तो मुझे संसार में नए माता-पिता मिल जाएंगे। आपकी कोख से जन्म लिया है तो आप इतने निर्मोही कैसे हो गए कि 9 महीने तक गर्भ में रखने के बाद मुझे लावारिस छो़ड़ दिया।
मां, मुझे कुल्लू से नेरचौक मेडिकल कॉलेज रैफर किया गया है। बोल तो नहीं पाती हूं, लेकिन समझ रही हूं कि प्लेटलेट्स की कमी बताई जा रही है। मां आपको तलाशने में पुलिस भरसक कोशिश कर रही है, लेकिन आप नहीं मिल रहे। सीसी फुटेज भी खंगाली जा रही है। मां मुझे आपसे ये भी पूछना है…मुझे लावारिस ही छोड़ना था तो जन्म ही क्यों दिया।
मां की ममता निर्मोही नहीं हो सकती। हो सकता है, आप मजबूर रही हों। फिर भी चाहती हूं, आप लौट आओ। मां, 3 अप्रैल 2023 को अंजली बस में छोड़ दिया था, तब मेरी उम्र करीब 15 दिन की थी। 12 अप्रैल हो चुकी है, दुलार तो बहुत मिल रहा है, लेकिन आपका दुलार चाहिए।
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मां…जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने कह दिया है कि माता/पिता या अभिभावक 60 दिन के भीतर पहचान स्वरूप दस्तावेज लेकर हाजिर नहीं होते हैं तो 60 दिन के बाद मुझे गोद लेने के लिए बाल कल्याण समिति कुल्लू को कानूनी रूप से स्वतंत्र कर दिया जाएगा। इसके बाद आप मुझे अपनी गोद का दुलार नहीं दे पाओगी। मां मुझे गोद लेने वालों का तांता बढ़़ता जा रहा है। सार्वजनिक सूचना जारी कर दी गई है। आपको आना है तो जल्दी आ जाओ।
‘‘करीब 27 दिन की नन्हीं परी, कुछ बोल पाती तो शायद ये व्यथा वो बयां करती। हर कोई इस सवाल का जवाब जानना चाहता है कि कैसे एक मां की ममता इस कदर निर्मोही हो गई कि ये भी नहीं सोचा कि चंद दिनों पहले संसार में आई बालिका का क्या होगां’’।
ये था घटनाक्रम…
3 अप्रैल को कुल्लू से एक निजी बस अंजली कोच मंडी की तरफ जा रही थी। इसी बीच बजौरा के नजदीक बस की सवारियों में उस समय हड़कंप मच गया, जब देखा एक नन्हीं सी परी लावारिस हालत में है। मौके पर पहुंची पुलिस ने तुरंत ही बच्ची को कुल्लू अस्पताल पहुंचाया। बस में सवारियां भरी थी। भुंतर बस अड्डे पर भी बस रुकी थी। नन्हीं बच्ची को कंबल में लपेटकर रखा गया था। बस में सीसी कैमरे की व्यवस्था नहीं थी, लिहाजा पुलिस के लिए ये सवाल जस का तस बना हुआ है कि कौन यात्री नवजात शिशु को गोद में लेकर बस में चढ़ा था।