चंबा, 09 अप्रैल : भूरी सिंह संग्रहालय चंबा प्रदेश का सबसे पुराना संग्रहालय है। यहां मौजूद कलाकृतियां व ऐतिहासिक दस्तावेज शोधार्थियों व पर्यटकों को जिला की समृद्ध परंपरा व गौरवशाली इतिहास से रूबरू करवाने को लेकर भी विशेष आकर्षण का केंद्र है।
संग्रहालय का इतिहास
भूरी सिंह संग्रहालय की स्थापना 14 सितंबर 1908 को तत्कालीन पुरातात्विक विभाग के महानिदेशक जॉन फिलिप फॉगल ने की थी जो राजा भूरी सिंह के आग्रह पर चंबा आए थे। राजा भूरी सिंह 1904 से 1919 तक चंबा के राजा थे। राजा भूरी सिंह ने परिवार के चित्र तथा कई पुरातत्व महत्व की शाही वस्तुएं संग्रहालय को दान की थी।

वर्तमान में संग्रहालय में छह गैलरियां है, जिसमें पुरातत्व गैलरी, लघु चित्र गैलरी व नृविज्ञान गैलरी, काष्ठ कला जैसी अलग-अलग गैलरियां हैं, जिसे संग्रहालय में पृथक-पृथक देखा जा सकता है। संग्रहालय में लगभग 65 सौ से अधिक विभिन्न प्रकार की प्राचीनतम ऐतिहासिक सामग्री सुरक्षित रखी है जो चंबा की समृद्ध लोक कला और संस्कृति को दर्शाती है। इनमें प्राचीन शिलालेख,ताम्रपत्र व पांडुलिपियां जो शारदा,टांकरी,भोटी,गुरुमुखी और फारसी लिपियों में लिखित है।
इसके अलावा लघु चित्र,चंबा रुमाल पहली शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक के प्राचीनतम सिक्के,कलाकृतियां, पहाड़ी गहने व संगीत वाद्ययंत्र आदि सम्मिलित है। हाल ही में 14 सितंबर 2022 को विश्व प्रसिद्ध भूरी सिंह संग्रहालय ने अपना 114वां स्थापना दिवस मनाया।
भूरी सिंह संग्रहालय चंबा के प्रारंभिक संस्थापक जोन फिलीप वोगल तत्कालीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल थे। राजा भूरी सिंह के दूरदर्शिल और चंबा के स्थानीय कलाओं से परिपूर्ण हस्त शिल्पों के उत्पादों के संयोजन से इस संग्रहालय की स्थापना का आधार स्थापित किया गया। यह संग्रहालय भारत की प्रारंभिक संग्रहालयों में से एक है। यह एक क्षेत्रीय संग्रहालय है। वर्तमान में इस संग्रहालय में पर्यटकों के लिए 6 गैलरियां बनाई गई हैं।
संग्रहालय की 6 गैलरियों की विशेषताएं
पहली पुरातत्व गैलरी में पूरे चम्बा रियासत से लाई गई पाषाण प्रतिमाएं व मन्दिरों में प्रयोग होने वाले प्रस्तर कला के नमूने रखे गए है। जो दूसरी शताब्दी ई. पू. से बीसवीं शताब्दी तक के काल व कला को दर्शाते है और पनघट शिलाएं इस गैलरी की शोभा बढ़ाती है।

दूसरी चंबा गैलरी की बात करें तो वे अपने आप में एक लघु संग्रहालय हैं। जिसमें लघु चित्र राजाओं के अस्त्र- शस्त्र, विदेशी मेहमानों द्वारा भेंट किए गए बेश कीमती उपहार ,रंगमहल से लाई गई चित्रित दीवारें व दरवाजे तथा एक हजार वर्ष पुरानी देवदार की लकड़ी से बनाई महात्मा बुद्ध की प्रतिमा रखी गई है। साथ ही यहां पर्यटकों के देखने के लिए विश्व प्रसिद्ध चम्बा रुमाल भी रखा गया है।
तीसरी लघु चित्र गैलरी में 17 वीं शताब्दी से लेकर 20 वीं शताब्दी तक के विभिन्न कलाकारों द्वारा चित्रित चित्र देख सकते हैं। भूरी सिंह संग्रहालय न केवल पूरे भारत अपितु विश्वभर में लघु चित्र शैली के चित्रों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है। भूरी सिंह संग्रहालय के प्रथम तल पर ऐतिहासिक दस्तावेज गैलरी है जहां आप प्रस्तर( पत्थर) धातु, कागज पर विभिन्न लिपियों में लिखित ऐतिहासिक दस्तावेज को देख सकते हैं।
स्थानीय राजाओं द्वारा मुगल दरबार हो या पड़ोसी राजाओं के साथ जमीन से लेकर सहमति के हर प्रकार के दस्तावेज इस गैलरी में देखने को मिलते हैं। इस गैलरी की विशेषता 950 AD का युगाकर बर्मन का ताम्रपत्र है जो संग्रहालय का प्राचीनतम ताम्रपत्र है। इसके अलावा इस गैलरी में 1000 वर्ष पुरानी सराहन पुस्तक भी देख सकते हैं। वहीं द्वितीय तल में पर्यटकों के देखने के लिए नृशास्त गैलरी है, जिसमें लोग प्राचीन कला के दैनिक उपयोग में होने वाली वस्तुओं को देख सकते हैं चांदी से जड़ित हाथी का हौदा इस गैलरी में चार चांद लगाता है। गैलरी में चंबा के सभी प्रकार के वचनों को देख सकते हैं।
छठी मुद्रा शास्त्र गैलरी मौर्य काल से लेकर आधुनिक भारत के सभी प्रकार की मुद्राओं का अवलोकन कर सकते हैं इस गैलरी में प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत के सभी प्रमुख शासकों की मुद्राओं का संकलन किया गया है। इन सभी के अलावा संग्रहालय में लघु चित्र प्रदर्शनी कक्ष और चंबा के प्राचीन छायाचित्र भी अंकित किए गए हैं।
क्या कहते हैं संग्रहालय अध्यक्ष नरेंद्र कुमार और तकनीकी सहायक सुरेंद्र ठाकुर
भूरी सिंह संग्रहालय भारत के प्राचीनतम संग्रहालयों में से एक है। जिसकी स्थापना तत्कालीन पुरातात्विक विभाग के महानिदेशक जॉन फिलिप फॉगल ने 1908 में की थी जो राजा भूरी सिंह के आग्रह पर चंबा आए थे। उन्होंने चंबा विरासत की संस्कृति को देखकर राजा को यह सुझाव दिया था कि क्षेत्र में एक संग्रहालय होना जरूरी है, जिसमें इन प्राचीनतम धरोहर वस्तुओं को सुरक्षित रखा जा सके। इस संग्रहालय में दूसरी शताब्दी से लेकर आज तक की वस्तुओं का संरक्षण किया गया है।
उन्होंने बताया कि यह संग्रहालय अपने आप में एक अनूठा है, जिसमें उत्तर भारत के सभी संग्रहालयों में से पहाड़ी मनैचर पेंटिंग का संग्रह भूरी सिंह संग्रहालय में सबसे अधिक है। भूरी सिंह संग्रहालय में वर्तमान में पर्यटकों के लिए 6 गैलरियां है।
उन्होंने बताया कि गत 4 वर्षों में संग्रहालय में दो नई गैलरियां स्थापित की गई है, जिसमें मुद्रा व नृविज्ञान गैलरी शामिल है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष देश विदेश से 30 से 35 हजार पर्यटक इस संग्रहालय को देखने आते हैं। हिमाचल प्रदेश और जिला चंबा की पारंपरिक विरासत के संरक्षण व संवर्धन के लिए संग्रहालय हमेशा प्रयासरत है।