नाहन, 7 अप्रैल : बेशक ही आपने हिन्दू व मुस्लिम भाईचारे की कई खबरें पढ़ी होंगी, लेकिन ये जानकारी तमाम खबरों से हटकर है। रमजान (Ramadan) का पवित्र महीना चल रहा है, रोजा रखा जा रहा है। शुक्रवार को हिन्दू व मुस्लिम युवाओं ने आपसी भाईचारे से मानवता की सेवा की एक दुर्लभ मिसाल पेश की।
‘ड्राप्स ऑफ हाॅप’ (Drops of Hop) के संस्थापक ईशान राव को डाॅ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज (Dr. YS Parmar Medical College) से सूचना मिली कि बी पॉजिटिव ब्लड (B+Blood) की 5 यूनिट की आवश्यकता है। तीन मरीजों को तत्काल रक्त की आवश्यकता है, जबकि एक का एचबी (HB) मात्र एक ग्राम रह गया है। रोजा रखे ईशान ने तुरंत ही सदस्यों को जानकारी उपलब्ध करवाई। पलक झपकते ही नीरज सिंघल, सोहल, विक्रम सिंह, जुबेर अहमद व तपेंद्र तोमर ब्लड डोनेट करने अस्पताल पहुंच गए।
एक मरीज को तो चंडीगढ़ से इसलिए रैफर किया गया था, ताकि उसे ब्लड चढ़ाया जा सके। उल्लेखनीय है कि वीरवार को भी ग्रुप के चार सदस्यों ओंकार शर्मा, विकास कल्याण, राहुल व प्रवीण ने भी रक्तदान किया था। मोहाली में इस सप्ताह समूह ने प्लेटलेट्स भी उपलब्ध करवाए थे।
रमजान में शुक्रवार की नमाज भी मायने रखती है। लेकिन मुस्लिम युवाओं ने मानवता की सेवा को तवज्जो देकर इस बात को साबित कर दिया कि चाहे कोई हिन्दू हो या मुस्लिम, सबका रक्त लाल ही है। ‘ड्राप्स ऑफ हाॅप’ के संस्थापक ईशान राव ने कहा कि मानवता की सेवा पहले है। उन्होंने कहा कि बेशक ही रोजा रखा था, लेकिन कुदरत ने मानवता की सेवा की शक्ति भी दे रखी है।
उन्होंने कहा कि वो एक माध्यम है, असल श्रेय समूह के सदस्यों को जाता है, जो अपनी डयूटी या व्यस्तता को छोड़कर एक संदेश पर मेडिकल काॅलेज पहुंच जाते हैं। शहरवासियों की मांग भी है कि हिमाचल दिवस के मौके पर ‘ड्राप्स ऑफ हाॅप’ के सदस्यों को सम्मानित किया जाना चाहिए।
कुल मिलाकर युवाओं ने अब तक सैंकड़ों लोगों को रक्तदान कर खून का रिश्ता बना लिया है। लोगों के चेहरों पर मुस्कान ही समूह का ध्येय है।
उल्लेखनीय है कि क्लब के सदस्य एम्स बिलासपुर (AIIMS Bilaspur), आईजीएमसी (IGMC) शिमला, इन्द्रेश अस्पताल देहरादून तक भी ब्लड डोनेट करने जाते हैं। क्लब के सदस्यों द्वारा एक मार्च से 31 मार्च तक 40 यूनिट रक्तदान किया जा चुका है। इसके अलावा अप्रैल माह का आंकड़ा भी एक दर्जन पार कर गया है। खास बात ये भी है कि आज गुड फ्राइडे भी है।