शिमला/नाहन, 7 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) ने वन रक्षकों (Forest Guard) की वरिष्ठता पर अहम आदेश दिए हैं। नाहन वृत में तैनात वनरक्षक इंतजार द्वारा दायर याचिका पर मुख्य न्यायाधीश शबीना व सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को बदला है। खंडपीठ ने प्रधान मुख्य अरण्यपाल के डीपीसी आदेशों को निरस्त किया है। उपवन राजिक के पद पर पदोन्नति के लिए वन रक्षकों के पक्ष में फैसला लिया है।

उपवन राजिक (डिप्टी रेंजर) के पद पर पदोन्नति के लिए सीधी भर्ती किए वनरक्षकों की वरिष्ठता सूची सेवा अवधि के आधार पर करने के सख्त आदेश हुए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद वन विभाग को सितंबर 2022 के बाद डिप्टी रेंजर के पद पर प्रमोट किए गए वन रक्षकों की सूची को नए सिरे से बनाना पडे़गा। 349 वनरक्षकों को डिप्टी रेंजर के पद पर प्रमोशन मिल चुकी है।
दरअसल, एकल पीठ के आदेश में मैरिट के आधार पर कमेटी के माध्यम से प्रमोशन के आदेश हुए थे। डबल बैंच ने विभाग को आर एंड पी रूल्स के तहत ही प्रमोशन देने के आदेश दिए हैं।
बता दें कि वनरक्षकों के 583 पदों को भरने के लिए 20 अप्रैल 2007 को एक विज्ञापन जारी किया था। लिखित परीक्षा का आयोजन राज्य स्तर पर हुआ, जबकि साक्षात्कार सर्किल के आधार पर किए गए थे। नतीजतन नियुक्तियां भी अलग-अलग समय पर मिली। इसी बात को लेकर विरोधाभास पैदा हुआ था।
उधर, वनरक्षक इंतजार ने बताया कि वरिष्ठता के आधार ही पदोन्नति के आदेश हुए हैं। उन्होंने बताया कि मैरिट के आधार पर पदोन्नति के आदेश 22 अगस्त 2022 को जारी हुए थे। इसके बाद विभाग ने 5 सितंबर 2022 को 281 वनरक्षकों को पदोन्नति दी। इसके बाद 7 सितंबर को 68 को प्रमोट कर दिया गया। एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी।