बिलासपुर, 2 अप्रैल : अमूमन छात्र शैक्षणिक संस्थान की कथित कार्यशैली को लेकर सवाल नहीं उठाते हैं। इसके पीछे कई कारण होते हैं, लेकिन डाईट जुखाला में द्वितीय वर्ष की जेबीटी प्रशिक्षु दिपांशी ठाकुर ने न केवल शैक्षणिक संस्थान की कार्यशैली को लेकर सवाल उठाए हैं, बल्कि उपायुक्त के दरबार में भी तथ्यों के साथ हाजिर होकर कार्यवाही की मांग कर डाली है।

आरोप ये है कि एक षड्यंत्र के तहत दिपांशी को टीचिंग प्रैक्टिस (Teaching Practice) में 200 में से 140 अंक दिए गए। जबकि गत वर्ष दिपांशी ने 1100 में से 972 अंक लेकर टाॅप किया था। इसी तरह सैद्धांतिक परीक्षा में 800 में से 734 अंक प्राप्त किए, लेकिन संस्थान के शिक्षक वर्ग द्वारा दिपांशी ठाकुर को 200 में से 140 अंक दिए गए। दिपांशी से थ्यौरी में कम अंक हासिल करने वाले छात्रों को अधिक अंक दिए गए। दिपांशी ठाकुर ने बताया कि सबसे पहले कक्षा प्रभारी को अवगत करवाया गया। जवाब न मिलने पर डाईट के प्रधानाचार्य से बात की गई।
प्रधानाचार्य ने जांच कमेटी तो गठित की, लेकिन उन शिक्षकों को जांच दे दी, जो कम अंक देेने में शामिल थे। दिपांशी की मां सुमन ठाकुर ने उपायुक्त को बताया कि घटना से उनकी बेटी मानसिक प्रताड़ना का सामना कर रही है। उन्होंने शिक्षा विभाग से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
इसी बीच उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने डाईट जुखाला के प्रधानाचार्य को चार दिन के भीतर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं। बता दें कि होनहार जेबीटी प्रशिक्षु छात्रा शनिवार को उपायुक्त से मिलने उनके कार्यालय पहुंची थी। प्रतिनिधिमंडल में अभिभावकों के अलावा जिला परिषद के पूर्व सदस्य जितेंद्र चंदेल भी शामिल थे।
बहरहाल, दिपांशी के आरोपों ने कई सवाल पैदा कर दिए हैं। बड़ा प्रश्न यही है कि क्या होनहार छात्रों को प्रैक्टिकल या फिर टीचिंग प्रैक्टिस इत्यादि में पीछे धकेल दिया जाता है। विद्यार्थियों के लिए थ्यौरी व प्रैक्टिकल के अंक बेहद ही मायने रखते हैं। इससे मैरिट पर भी असर पड़ता है।
उधर, डाईट के प्रधानाचार्य ने कहा कि वो पता लगा रहे हैं कि थ्यौरी व टीचिंग प्रैक्टिस के अंकों में अंतर क्यों है। उन्होंने कहा कि अगर शिक्षक दोषी पाए जाते हैं तो कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि डीएलएड (D.El.ED) के छात्रों को प्राथमिक पाठशालाओं में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है। इसी के आधार पर टीचिंग प्रैक्टिस के अंक निर्धारित होते हैं।