नाहन, 23 मार्च : आखिरकार, दशकों की जद्दोजहद के बाद 1621 में बसे शहर को सीवरेज प्रोजैक्ट (sewage disposal) मिल गया है। सरकार ने द फ्रैंच डवेल्पमेंट एजेंसी ( The French Development Agency) से 144 करोड़ के प्रोजैक्ट का एमओयू (MoU) साइन कर लिया है। हालांकि, 19वीं शताब्दी में तैयार की गई शहर की सीवरेज प्रणाली (sewerage system) मौजूदा में भी कारगार साबित हो रही है। लेकिन बदलते परिवेश में शहर के लिए सीवरेज प्रोजैक्ट की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
दरअसल, सीवरेज प्रोजैक्ट में देरी की एक बड़ी वजह थी। इस प्रोजैक्ट को क्रियान्वयन करने के लिए शहर में पेयजल किल्लत बड़ा पेंच थी। ददाहू उठाऊ पेयजल योजना शुरू होने के बाद हर घर को माकूल पानी मिल रहा है। जानकारों के मुताबिक हरेक व्यक्ति को रोजाना पीने व अन्य कलापों के लिए 132 लीटर पानी मिलना चाहिए। इसका एक हिस्सा फ्लश में इस्तेमाल होता है।

गौरतलब है कि 132 लीटर का पैमाना घरों के लिए है, जबकि शिक्षण व स्वास्थ्य संस्थान इत्यादि के लिए ये अलग है।चूंकि, ददाहू उठाऊ पेयजल योजना से पहले हरेक शहरी को 132 लीटर पानी नहीं मिल रहा था, लिहाजा सीवरेज का प्रोजेक्ट भी लटका हुआ था। जानकार ये भी बताते हैं कि रियासत काल के समय बनी भूमिगत सीवरेज प्रणाली भी इस प्रोजेक्ट में कारगर होगी।
परियोजना की कार्यान्वयन अवधि तीन साल तय की गई है। प्रथम चरण पूरा होने के 18 महीने बाद स्टेज-2 का कार्य शुरू होगा।
उल्लेखनीय है कि ये समझौता ज्ञापन मुख्यमंत्री की मौजूदगी में जल शक्ति विभाग के प्रधान सचिव अमिताभ अवस्थी व एएफडी के कंट्री निदेशक ब्रूनो बोस्ले के बीच हस्ताक्षरित किया गया।
बता दें कि राज्य सरकार ने पांच शहरों में पेयजल व स्वच्छता सेवाओं में सुधार के मकसद से फ्रांसीसी विकास एजेंसी (french development agency) से 817.12 करोड़ रुपए की परियोजना के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर (MoU Sign) किए थे। इसमें नाहन के अलावा मनाली, बिलासपुर, पालमपुर व करसोग शामिल हैं। परियोजना के अतंर्गत 612 करोड़ रुपए एएफडी द्वारा प्रदान किए जाएंगे, जबकि 204.85 करोड़ रुपए राज्य सरकार खर्च करेगी।
शहरों की मल निकासी संयंत्रों को अत्याधुनिक तकनीकों के साथ डिजाइन किया जाएगा। जानकारों का ये भी कहना है कि मल निकासी परियोजना को जनगणना का आधार बनाया जा रहा है, जबकि धरातल पर माइग्रेशन के कारण आबादी कई गुणा अधिक है।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में जल शक्ति विभाग के नाहन अधिशाषी अभियंता आशीष राणा ने माना कि न्यूनतम 135 लीटर पानी की उपलब्धता आवश्यक मापदंड है। शहर में हरेक व्यक्ति को न्यूनतम 135 लीटर पानी उपलब्ध हो रहा है। इस पैमाने की कसौटी पूरा होने के बाद ही परियोजना को मंजूरी मिली है। बता दें कि MoU पर साइन होने के दौरान विधायक अजय सोलंकी भी सीएम के साथ मौजूद थे।
डॉ. बिंदल का प्रेस बयान
प्रेस बयान में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि शहर के लिए सीवरेज का प्रकल्प (Project) स्वीकृत हुआ है। इस पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने नाहन वासियों को बधाई भी दी है। उन्होंने कहा कि पिछले 3 वर्षों तक इस प्रकल्प को स्वीकृत करवाने में हमने जी-तोड़ मेहनत की थी। फ्रांस एड की टीमों का कई बार नाहन में दौरा करवाया, पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण करवाया गया। बिंदल ने कहा कि तीन बार संशोधन (Amendments) करते हुए 140-144 करोड़-करोड़ रुपये की डीपीआर बनाकर भेजी गई, जिसकी सैद्धान्तिक स्वीकृति प्राप्त हो गई थी। समय-समय पर मीडिया व अन्य माध्यमों से इसकी जानकारी भी देते रहे।
उन्होंने कहा कि गिरी नदी से पानी आने के बाद व प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में शहरवासियों को पानी मिलने के बाद सीवरेज की कामयाबी निश्चित हुई है। उन्होंने कहा कि इस के साथ ही एक अन्य प्रकल्प भी पूर्व सरकार में सैद्धान्तिक रूप से स्वीकृत करवाया गया था। जिसमें एशियन डेवलपमेंट बैंक (Asian Development Bank) के माध्यम से 72 करोड़ रुपये नाहन विधानसभा क्षेत्र में व्यय होंगे।जिसमें शहर का सौंदर्यकरण, पार्किंग वयवस्था, कालीस्थान तालाब का सम्पूर्ण विकास, रानीताल व रामकुण्डी ताल का विकास, विला राऊंड का विकास, फाउन्ड्री में क्राफ्ट विलेज (Craft Village) का निर्माण व सुकेती फॉसिल पार्क का विकास शामिल है।
ये होगा फायदा…
शहर में बाबा आदम के जमाने की मल निकासी हो रही है। इस कारण शहर के समीपवर्ती इलाकों में न केवल दुर्गंध, बल्कि गंदगी भी बढ़ती जा रही है। शहर पर लगातार बोझ बढ़ता जा रहा है। हर साल जल जनित बीमारियां फैलने की भी आशंका रहती है। सिरमौर के शासक महाराजा शमशेर प्रकाश ने 1886 में नगर पालिका का गठन किया था। उल्लेखनीय है कि नाहन नगर परिषद देश की दूसरी सबसे पुरानी नगर परिषद है।
दूरदर्शिता से रियासत काल में सीवरेज को अंडरग्राउंड किया गया था। लेकिन मौजूदा में आधुनिक संयंत्रों की गहन आवश्यकता महसूस की जा रही है।