शिमला, 20 मार्च : हिमाचल में शराब के ठेकों के नवीनीकरण की बजाय नीलामी का सरकारी निर्णय फायदे का सौदा साबित हुआ है। सीधे ही सरकार को 520 करोड़ रुपए के राजस्व (Revenue) का फायदा हुआ है। सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों की मानें तो यदि इस साल भीे 10 प्रतिशत वृद्धि के साथ नवीनीकरण की नीति अपनाई जाती तो राजस्व में 370 करोड़ का नुकसान होता। यानि, अंतर का आंकड़ा 873 करोड़ हो जाता।
ओल्ड पैंशन स्कीम (old pension scheme) लागू करने को लेकर सरकार का बयान आया था कि 900 करोड़ की आवश्यकता है। दिलचस्प बात ये है कि 520 करोड़ रुपए का प्रावधान आबकारी नीति (excise policy) में बदलाव से हो गया है। ये अलग बात है कि सरकार इसे ओपीएस (OPS) पर खर्च करेगी या नहीं।
2023-24 में आबकारी नीति के तहत 2357 करोड़ रुपए का अनुमान था, लेकिन रिटेल दुकानों में 40 प्रतिशत की वृद्धि होने से ये आंकड़ा 2800 करोड़ पहुंच गया है। इसमें 1815 करोड़ रुपए की कमाई ठेकों में शराब की बिक्री से होगी, जबकि शेष कमाई शराब का उत्पादन करने वाले बाॅटलिंग प्लांट (bottling plant) से अनुमानित है। मोटी जानकारी के मुताबिक हिमाचल (Himachal) में शराब उत्पादन के करीब 27 बाॅटलिंग प्लांट हैं।
अब अपने मोबाइल पर सबसे पहले पाएं हिमाचल की ताजा खबरें, यहां क्लिक कर ज्वाइन करें हमारा WhatsApp Group
आरक्षित मूल्य की तुलना में राजस्व में समूचे प्रदेश में 39.97 प्रतिशत का इजाफा दर्ज हुआ है। 2023-24 में सरकार को शराब के कारोबार से 1815.35 करोड़ मिलने का अनुमान लगाया गया है। सरकार के वार्षिक बजट (Annual budget) में तकरीबन 5 प्रतिशत की कमाई शराब के कारोबार से होने की उम्मीद जाहिर की गई है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार का वार्षिक बजट तकरीबन 53 हजार करोड़ का है। इसमें 2800 करोड़ की कमाई शराब के कारोबार से होगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu) ने सोमवार को सदन में बताया कि सरकार ने 10 रुपए प्रति बोतल मिल्क सेस (milk cess) लगाने का भी निर्णय लिया है, इससे लगभग 100 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व आएगा। सीएम का ये भी कहना था कि यदि इस साल भी नवीनीकरण की नीति अपनाई जाती तो 300 करोड़ का नुकसान होता।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि आबकारी इकाईयों में स्पर्धा के कारण राजस्व में बढ़ोतरी हुई है। बता दें कि 16, 17 व 18 मार्च को तीन चरणों में आबकारी इकाईयों को टेंडर/नीलामी के माध्यम से आबंटित किया गया। पहले विभाग द्वारा आरक्षित मूल्य (reserve price) से वृद्धि का आंकड़ा दिया गया था, लेकिन विधानसभा में मुख्यमंत्री ने 2022-23 की बेसिक कमाई की तुलना में आंकड़ा प्रस्तुत किया।
सरकार की स्मार्ट वर्किंग…
राज्य सरकार ने शराब के करोबार के आंकड़े प्रस्तुत करने में भी स्मार्ट वर्किंग (smart working) दिखाई है। दरअसल, 2022-23 के आंकड़ों में 10 प्रतिशत की वृद्धि तय थी। सरकार ने इस वृद्धि को भी जोड़कर आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। कुल मिलाकर ये तय है कि शराब के ठेकों को लगातार 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी पर आबंटित करने से राज्य को अरबों रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है। ऐसी परिस्थितियों (circumstances) में ये भी माना जा रहा है कि सरकार भविष्य में भी ठेकों को रिन्यू करने की बजाय इस पद्धति पर कदम बढाएगी।
जिलावार स्थिति…
यदि राजस्व में आरक्षित मूल्य की तुलना में वृद्धि का आकलन किया जाए तो किन्नौर समूचे राज्य में सिरमौर रहा। ट्राइबल जिला में राजस्व वृद्धि ने 66.05 का आंकड़ा हासिल कर रिकाॅर्ड तोड़ दिया। दूसरे स्थान पर बीबीएन यूनिट ने भी अप्रत्याशित वृद्धि दे डाली।
सरकारी खजाने की कमाई में 59.66 प्रतिशत की वृद्धि ने विभाग की बांछें खिला दी। तीसरे स्थान पर ऊना में 52.63 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। चौथे स्थान पर सिरमौर ने 47.62 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज करवाई।
कुल्लू में 46.11 प्रतिशत की वृद्धि हुई। शिमला में 44.91 प्रतिशत का उछाल आया है। चंबा जिला से सरकार को 37.91 प्रतिशत बढ़ोतरी की खबर मिली। सबसे कम इजाफा हमीरपुर से 23.45 प्रतिशत मिला है। कांगड़ा व सोलन में क्रमशः 35.51 व 31.69 प्रतिशत राजस्व बढ़ा है। नूरपुर में 36.22 प्रतिशत का आंकड़ा है, जबकि बिलासपुर में 25.20 प्रतिशत की कमाई बढ़ी है।