नाहन, 17 मार्च : कोई नहीं जानता, मौत कब व कैसे आएगी। लेकिन शरीर त्यागने के बाद भी आप संसार में एक विरासत छोड़ सकते हैं। विरासत भी ऐसी, जिसका आपको खुद इल्म तक नहीं होगा कि इसके जरिए किन जरूरतमंदों के जीवन में उजाला आ जाएगा।
विशाल ह्दय वाले परिवार ने नम आंखों से प्यारे बेटे के अंगदान के उदार भाव से चार रोगियों में आशा की किरण जगा दी। नाहन की सलानी कटोला पंचायत के मोहलिया गांव का 19 वर्षीय युवक ‘हर्ष पंवार’ जाते-जाते भी नश्वर शरीर से एक विरासत छोड़ गया। 19 वर्षीय हर्ष के अंग चार जरूरतमंदों के जीवन में उजाला ले आए हैं।

कालाअंब की एक फैक्टरी में काम करने वाले पिता संजय कुमार के लिए बेटे के अंगदान (organ donation) का फैसला लेना आसान नहीं था। मगर वो इस बात को बखूबी जानते थे कि नौजवान बेटा तो लौटकर नहीं आने वाला, लेकिन चार व्यक्तियों को नवजीवन दे सकता है। पीजीआई चंडीगढ़ (PGI Chandigarh) में हर्ष के गुर्दे व कोर्निया का चार मरीजों में सफल प्रत्यारोपण किया गया। दो मरीजों की तो आंखों की रोशनी लौट आई।
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पीजीआई चंडीगढ़ प्रशासन भी हर्ष के परिवार की भावना से अभिभूत हुआ, क्योंकि परिवार ने अपने दुर्भाग्य को दूसरों के लिए आशीर्वाद में तब्दील कर दिया। गौरतलब है कि पीजीआई चंडीगढ़ ने ‘हर्ष’ को भावभीनी श्रद्धांजलि भी दी। निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा कि पीजीआई परिवार के फैसले का सम्मान करता है। परिवार कोे जीवन में सबसे कठिन व अविश्वसनीय दौर से गुजरना पड़ा। परिवार ने साहसिक निर्णय लिया है।
होली ऐसे हुई बेरंग…
परिवार को होली की शाम एक झिंझोड़ देने वाली सूचना मिली। कौलावालांभूड के नजदीक बाइक दुर्घटना में 19 साल का हर्ष जख्मी हो गया। 108 एंबूलेंस में नाहन अस्पताल पहुंचाया गया। हालत नाजुक होने की वजह से पीजीआई चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया। 12 मार्च की सुबह हर्ष जिंदगी व मौत के बीच जंग लड़ रहा था।
ब्रेन डैड (Brain Dead) होने पर पीजीआई के अंग प्रत्यारोपण समन्वयक (PGI Organ Transplant Coordinator) ने 12 मार्च की सुबह पिता संजय कुमार से बेटे के अंगदान करने का आग्रह किया। पिता ने चंद मिनटों में ही हामी भर दी। फौरन ही पीजीआई की टीम ने औपचारिकता पूरी करने के बाद गुर्दों व कोर्निया (kidney and cornea) की प्रतीक्षा सूची वाले मरीजों का रिकॉर्ड खंगाला। इसके बाद जरूरी परीक्षण किए गए। करीब 12 बजे हर्ष के पार्थिव शरीर को परिजनों को सौंप दिया गया। 12 मार्च को ही अंतिम संस्कार कर दिया गया।
पीजीआई चंडीगढ़ ने अंगदान की इस प्रेरक जानकारी को चंद रोज बाद मीडिया से शेयर किया।
ये बोले पिता…
दिवंगत हर्ष के पिता संजय कुमार ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से कहा कि छोटा बेटा तो चला गया। फिर सोचा, सामने डॉक्टर अंगदान के लिए जो बात कह रहे हैं, वो गलत नहीं है। उन्होंने बताया कि हर्ष की माता घर पर ही थी। रिश्तेदारों के साथ फैसला लिया। उन्होंने कहा कि बेटा खेती-बाड़ी में हाथ बंटाता था। 8 मार्च को होली खेलने के बाद घर लौट रहा था।