शिमला, 16 मार्च : हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष अक्टूबर तक 200 मेगावाट सोलर बिजली का उत्पादन आरम्भ हो जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वीरवार को प्रदेश विधानसभा में ये ऐलान किया है। इस बिजली के उत्पादन से फिर हिमाचल को सर्दियों के मौसम में दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा, क्योंकि सर्दियों के दिनों में प्रदेश को दूसरे राज्यों से बिजली की खरीद करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि नौ महीने के रिकॉर्ड समय में 200 मेगावाट सोलर पावर का उत्पादन किया जाएगा, जो इससे पहले कभी नहीं हुआ है।

हिमाचल प्रदेश जल-विद्युत उत्पादन पर जल उपकर विधेयक, 2023 की चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार को संसाधन जुटाने की जरूरत है, जिसके लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। इससे परेशानी तो होगी, मगर आने वाला समय बेहतरीन जरूर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी सर्दियों में अक्टूबर से मार्च महीने तक प्रदेश को 7 रुपए प्रति यूनिट तक बिजली की खरीद करनी पडती है। अपनी सोलर पावर होगी तो यह जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि हाइड्रो पावर का उत्पादन उस समय में कम हो जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के हित में जो भी हो सकेगा वह किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंत्री रात को भी काम करते हैं जो आगे भी करेंगे, क्योंकि राज्य का हित देखना है। उन्होंने कहा कि वाटर सेस को लाने में सरकार की कोई राजनीतिक मंशा नहीं है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में पावर पॉलिसी में भी बदलाव किया जाएगा। इसे लेकर अधिकारी काम कर रहे हैं। दूसरे राज्यों के मुकाबले एक बेहतरीन पॉलिसी यहां पर दी जाएगी जिससे पावर सेक्टर में भी निवेश बढे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार वाटर सेस के लिए अध्यादेश लाई और ये इसलिए जरूरी था, क्योंकि सालों से हम अपने अधिकार से वंचित थे। पानी पर सेस लगाना राज्य का अधिकार है और पानी हिमाचल का बहता सोना है। उन्होंने कहा कि शांता कुमार ने वाटर सेस को लेकर सराहना की है। उनका कहना था कि 172 बिजली परियोजनाओं को आयोग में पंजीकरण करवाना होगा। हिमाचल के लोगों को कोई दिक्कत न हो, इसे ध्यान में रखा जाएगा और हिमाचली उत्पादकों को राहत प्रदान की जाएगी।