शिमला, 16 मार्च : शिमला नगर निगम चुनाव फिर से अदालत में उलझते दिख रहे हैं। राज्य में जहां कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बढ़ाए गए वार्डों की संख्या को खत्म कर दोबारा 41 से वार्ड 34 ही कर दिए गए हैं। वहीं भाजपा ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
भाजपा नेता व वरिष्ठ अधिवक्ता सत्य पाल जैन ने इस मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में दरख्वास्त डालने के बाद कहा कि शिमला नगर निगम में वार्डों की संख्या 41 से घटाकर 34 करना हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1994 के प्रावधानों व हिमाचल प्रदेश नगर निगम (चुनाव) नियम, 2012 का उल्लंघन है।

सतपाल जैन ने अपनी अर्जी में कोर्ट को बताया कि जब वार्डों को 34 से बढ़ाकर 41 करने की पूरी कवायद कानून को मद्देनजर रखते हुए और सभी नियमों की पालना करते हुए की थी, तो हिमाचल सरकार द्वारा वार्डों को 41 से घटाकर 34 करने के लिए अधिनियम में संशोधन करने का कोई औचित्य नहीं था।
उन्होंने कहा कि अन्यथा वार्डों की संख्या 41 से घटाकर 34 करने के बाद भी डेलिमिटेशन के नियमों के अनुसार 34 वार्डों के डिलिमिटेशन की प्रक्रिया फिर से करने की क्या आवश्यकता थी। लिहाजा, वार्डों को 41 से घटाकर 34 करने के साथ-साथ पुराने डिलिमिटेशन को अपनाना दोनों अवैध, असंवैधानिक है और रद्द किए जाने योग्य हैं। उन्होंने आग्रह किया कि उत्तरदाताओं को हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम और नियमों के प्रावधानों के अनुसार नए सिरे से डिलिमिटेशन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए निर्देशित किया जाए। हाईकोर्ट ने आगे की दलीलों के लिए मामले को 28 मार्च के लिए निर्धारित किया है।
गौरतलब है कि पूर्व जयराम सरकार के दौरान नगर निगम चुनाव के लिए वार्डों की संख्या को बढ़ा दिया गया था और इनकी संख्या 34 से 41 कर दी गई थी।लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू की नई सरकार ने ऑर्डिनेंस के जरिए इसमें बदलाव कर दिया और वार्डों की संख्या पुरानी ही रखी है।