मंडी, 13 मार्च : हिमाचल प्रदेश में करीब 1600 ईस्वी के बाद प्रयोग में लाई जाने वाली टांकरी लिपि के बारे में जानकारी मुहैया करवाने और जिज्ञासु जनों को इस लिपि का ज्ञान देने के लिए मंडी स्थित सरदार पटेल यूनिवर्सिटी में दस दिवसीय कार्यक्रम शुरू हो गया है। सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के द्वारा आयोजित प्रशिक्षण शिविर में लगभग 72 के करीब प्रशिक्षार्थी भाग ले रहे है।

सोमवार को पटेल युनिवर्सिटी मंडी के कुलपति आचार्य देव दत्त शर्मा ने कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ किया। दस दिनों तक चलने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में मंडी के टांकरी लिपि के ज्ञाता जगदीश कपूर व पारूल अरोड़ा जिज्ञासु जनों को इस लिपि के बारे में जानकारी देंगे, जिससे इतिहास आदि के विषय में पढ़ने वाले बच्चों को अपने शोध आदि कार्य करने में यह प्रशिक्षण सहायक सिद्ध होगा। कार्यक्रम के दौरान सभी आए हुए अतिथियों ने टांकरी लिपि के महत्व और आज के समय में इसकी समझ होने की उपयोगिता पर बल दिया।
वहीं, इस मौके पर टांकरी लिपि की शुरूआत और इस लिपि में लिखे गए महत्वपूर्ण प्रपत्रों के बारे में भी चर्चा की गई। सरदार पटेल युनिवर्सिटी के कुलपति आचार्य देव दत्त शर्मा ने बताया कि विलुप्त हो रही विद्याओं को पुनर्जिवित करने के लिए सभी को प्रयास करने की जरूरत है। इसी कड़ी में भाषा की पुरानी लिपि टांकरी को सहेजने के लिए
यूनिवर्सिटीके इतिहास विभाग ने बेहतर प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि हिमाचल का इतिहास, परंपराएं और लोक संस्कृति टांकरी लिपि में लिखा गया है, जिसे समझने और समझाने के लिए टांकरी का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने उम्मीद जताई की इस लिपि का प्रशिक्षण जिज्ञासु जनों को विभिन्न प्रकार के शोध के लिए मददगार साबित होगा।
दस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में टांकरी लिपि के बारे में जानने और इसका प्रशिक्षण लेने वाले प्रशिक्षणार्थियों का भी मानना है कि इस पुरातन लिपि में जानकारी लेने से उन्हें ऐसी बातों के बारे में जानकारी मिलेगी, जो उन्हें शायद टांकरी लिपि ना सीखने पर कभी नहीं मिल पाती। प्रशिक्षुओं ने भी टांकरी लिपि के प्रशिक्षण शिविर के लिए आयोजकों का आभार जताया।
इस कार्यक्रम के दौरान मंडी के प्रसिद्ध साहित्यकार मुरारी शर्मा के द्वार लिखे देवकु उपन्यास का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में डॉक्टर अनुपमा सिंह, विनय शर्मा, राजेश कुमार शर्मा आदि गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।