हमीरपुर, 12 मार्च : ईश्वर ने हुनर तो सबको बख्शा होता है, लेकिन उसका उपयोग कैसे करना है, यह व्यक्ति पर निर्भर करता है। कुछ कलाकारों का हुनर इस कद्र शानदार होता है कि अपनी आंखों पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है कि वाकई इसे हाथों से बनाया गया है। ये बात और है कि वक्त आने पर किसी की प्रतिभा सामने आ जाती है और कोई गुमनामी के अंधेरे में खोकर रह जाता है। देश में हजारों ऐसे प्रतिभावान लोग हैं, जिनकी प्रतिभा सामने नहीं आई है।
ऐसे ही एक हुनरबाज़ है हमीरपुर जिला के रवि कुमार। लकड़ी के टुकड़ों पर रवि की कलाकारी देख आप दंग रह जाएंगे। वुड आर्ट के जरिए रवि ने लकड़ी के टुकड़ों पर ऐसी कलाकृतियां बनाई हैं, जिसे देखकर आप दांतों तले उंगली दबाने को विवश होंगे।

हमीरपुर के लदरौर के समीप बरोटा गांव के रहने वाले रवि कुमार को हाथों से लकड़ी पर चित्र उकेरने की कला पिता से विरासत में मिली है। रवि कुमार ने लकड़ी पर भारत माता समेत कई महान व्यक्तियों जिनमें शहीद भगत सिंह, रविंद्र नाथ टैगोर, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, भीमराव अंबेदकर व मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू समेत कई कलाकृतियां शामिल हैं।
लकड़ी के टुकड़ों पर उकेरी गई कलाकृतियां इतनी जीवंत लगती हैं, मानों बोल पडेंगी। इतनी बारीकी व सफाई से की लकड़ी पर कारीगरी की गई हैं कि एक पल विश्वास करना कठिन हो जाता है। रवि कुमार की अदभुत कलाकारी महान व्यक्तियों के चित्रों पर खत्म नहीं होती, वो घरों की खिड़की, दरवाजों, खंभों इत्यादि पर भी उम्दा डिजाइन उकेरने की कला में माहिर हैं।
#WATCH VIDEO : हिमाचल के हुनरबाज की प्रतिभा, जीवंत हो उठती है काष्ठ…
इस कला के लिए रवि ने कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया है, बस पिता के नक्शे कदम पर चलकर कला की दीक्षा ली है। इसके लिए रवि डिजाइन खुद तैयार करते हैं, फिर अपने हुनर को बारीकी से लकड़ी पर उकेरे कर निर्जीव लकड़ी के टुकड़े को बेशकीमती बना देते हैं। काम में सफाई देखते ही बनती है, मानो हाथ से नहीं, बल्कि मूर्तियां मशीनों से बनाई हों।

एमबीएम से खास बातचीत में रवि कुमार ने बताया कि बचपन से पिता को देखकर उनमें भी कलाकारी का शौक पैदा हो गया, जो अब जुनून में बदल गया है। उन्होंने बताया कि उनके पास वुड वर्क का बड़ा संग्रह है। किसी भी तस्वीर को सामने रखकर हूबहू उसे लकड़ी पर उतारने का हुनर है। दर्जनों महान व्यक्तियों की तस्वीरें लकड़ी पर उकेरी हैं। उन्होंने बताया कि एक डिजाइन को उकेरने में कम से कम 10 दिन का वक्त लगता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि रवि कुमार तो पता नहीं कितना कमा लेते होंगे। आपको बता दें कि कुदरत ने रवि कुमार को हुनर बख्शा है, लेकिन उसे हुनर के पारखी नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे उसे वो पहचान नहीं मिली है, जिसका वास्तव में वो हकदार है।

एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने रवि कुमार के इस हुनर को प्रदेश व देश की जनता तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस कलाकार ने अपना काम बेहतरीन तरीके से निभाया और जो आकृति वो लकड़ी पर उकेरना चाहता था, उसमें पूरी तरह से कामयाब रहा। इस कलाकार के कला को एक सलाम तो बनता है।