चंबा, 12 मार्च : उपमंडल सलूणी की ग्राम पंचायत सूरी के प्रगतिशील, मेहनतकश व क्षेत्र के लिए अनूठी मिसाल बने किसान प्रह्लाद भक्त परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे आज सफल पुष्प उत्पादक के तौर पर स्थापित हो चुके हैं। प्रह्लाद भक्त का कहना है कि पारंपरिक कृषि कार्य करने के पश्चात कृषि विभाग एवं उद्यान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर द्वारा कार्यान्वित “अरोमा मिशन” (Aroma Mission) के अंतर्गत जंगली गेंदा पुष्प( wild marigold) की खेती ने उनके साथ 400 से भी अधिक किसानों के आर्थिक स्वावलंबन में महक लाई है।

सफलता का मंत्र
जंगली जानवरों से पारंपरिक कृषि उपज को हो रहे नुकसान की भरपाई को लेकर ग्राम पंचायत सूरी के गांव पखेड से जंगली गेंदा पुष्प की खेती के रूप में शुरू हुई पहल मौजूदा में चामुंडा कृषक सोसायटी चकोली- मेडा के तौर पर वर्तमान में 400 से भी अधिक किसानों का समूह है। धुन के पक्के किसान प्रहलाद भक्त ने पुष्प उत्पादन के संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की सारी जानकारी प्राप्त की। इस विषय में विस्तृत जानकारी के लिए उद्यान विभाग व कृषि विभाग के अधिकारियों से भी मिले। सारी जानकारी जुटा लेने पर उन्होंने पुष्प उत्पादन शुरू किया।
प्रह्लाद भक्त का कहना है कि जंगली गेंदे व अन्य जड़ी बूटियों पर लगभग 15 सालों से कार्य कर रहे है। उन्होंने 2012 से जंगली गेंदे की खेती की ओर अपना रुझान किया। आयल डिस्टिलेशन यूनिट ( oil distillation unit) की स्थापना कर तेल निकालना शुरू कर आय अर्जित करना शुरू किया। जिसके उपरांत वर्ष 2018 में हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर ( CSIR – Institute of Himalayan Bioresource Technology) के माध्यम से हमारी सोसाइटी के लिए ऑयल डिस्टलेशन यूनिट की स्थापना की और हमें हर संभव सहायता उपलब्ध करवाई गई। उसके उपरांत जंगली गेंदे की खेती से हमने अच्छी मात्रा में तेल निकालना शुरू किया। उन्होंने कहा कि डिस्टिलेशन यूनिट लगने के उपरांत अभी तक वह लगभग ढाई क्विंटल तेल निकाल चुके हैं।

जंगली गेंदे के तेल के फायदे
जंगली गेंदे से प्राप्त तेल का उपयोग फूड पैकिंग के अलावा खाद्य पदार्थ जैसे टॉफियां, कुरकुरे, सौंदर्य प्रसाधन (कॉस्मेटिक), विभिन्न प्रकार की दवाइयां और हवन सामग्री में किया जाता है। जंगली गेंदे पुष्प का सघन तेल (condensed oil) 10 हजार से 12 हजार प्रति किलो (लीटर में नहीं) की दर से बाहरी व्यापारी स्थानीय स्तर पर ही खरीद लेते हैं। खुद खेती से सालाना एक से दो लाख की आमदनी हो जाती है। इस खेती से एक अच्छी आमदनी अर्जित की जा सकती है।
खास बात यह है कि जिला प्रशासन ने वर्ष 2021 में सीएसआईआर- हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। इसके तहत जिला में सुगंधित व औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को तकनीकी जानकारियां उपलब्ध करवाने के साथ विभिन्न फसलों की पौध, डिस्टिलेशन यूनिट और तैयार उत्पाद की बिक्री के लिए बाजार भी उपलब्ध करवाना शामिल किया गया है।
उद्यान विकास अधिकारी का तर्क
उद्यान विकास अधिकारी सलूणी डॉ अनिल डोगरा बताते हैं कि जिला प्रशासन द्वारा हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के साथ किए गए समझौते के अंतर्गत विकासखंड सलूणी की ग्राम पंचायत सूरी के गांव पखेड में 2018 में ऑयल डिस्टिलेशन यूनिट की स्थापना की। उन्होंने कहा कि चामुंडा कृषक सोसाइटी चकौली मेडा के सदस्यों द्वारा जंगली गेंदे की खेती की जा रही है और इस डिस्टलेशन यूनिट के माध्यम से तेल निकालकर अपना रोजगार चला रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इस सोसाइटी द्वारा गत 3 वर्षों में लगभग 250 किलोग्राम का उत्पादन किया है। उन्होंने कहा कि विकास खंड सलूणी के किसानों को अरोमा मिशन के अंतर्गत जिला प्रशासन के सहयोग आईएचबीटी पालमपुर द्वारा लैवेंडर पौधे( lavender plants) वितरित किए गए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकें और स्वरोजगार की ओर बढ़ सके।
उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा जिला में विभिन्न स्थानों में 13 डिस्टिलेशन यूनिट (सघन तेल आसवन इकाई) स्थापित किए जा चुके हैं। प्रह्लाद भक्त राज्य सरकार की योजनाओं के सफल कार्यान्वयन और सही दिशा में की गई मेहनत के सुखद परिणामों की जीती जागती मिसाल है। उनकी सफलता की कहानी अनेकों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध हो रही है और बड़ी संख्या में लोग स्वरोजगार लगाने को प्रेरित हो रहे हैं।