नाहन, 10 मार्च : डॉ वाईएस परमार मेडिकल काॅलेज में सरकार की प्राधिकृत लैब क्रसना डायग्नोस्टिक लिमिटेड (KRSNAA Diagnostics Ltd.) का होश उड़ाने वाला कारनामा सामने आया है। 15 महीने के मासूम बच्चे के ब्लड ग्रुप (Blood Group) की गलत रिपोर्ट जारी कर दी गई। इससे नन्हें बच्चे की जान खतरे में पड़ सकती थी। गनीमत इस बात की रही कि मेडिकल काॅलेज के ब्लड बैंक की सावधानी से खतरा टल गया।

हुआ यूं कि सैनवाला के रहने वाले वाहिद ने 15 महीने के बेटे को मेडिकल काॅलेज में दाखिल करवाया था। ब्लड की कमी के कारण 15 महीने के बच्चे को ब्लड चढ़ाया जाना था। इसके लिए प्राधिकृत मेडिकल लैबोट्री (Authorized Medical Laboratory) में बच्चे के ब्लड ग्रुप को लेकर सैंपल भेजा गया। 7 मार्च को अभिभावकों को बच्चे का ब्लड ग्रुप एबी नेगेटिव (AB-) होने की रिपोर्ट थमा दी गई।
चूंकि, ब्लड बैंक में रक्तदान होना था, लिहाजा ब्लड बैंक के स्टाफ ने सावधानी बरतते हुए बच्चे के ब्लड ग्रुप को क्रॉस चैक करने का निर्णय लिया। ब्लड बैंक की प्रयोगशाला में रिपोर्ट ओ नेगेटिव पाई गई।
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गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले वाहिद को दोबारा क्रसना डायग्नोस्टिक लिमिटेड में पुनः टैस्ट करवाने का सुझाव ब्लड बैंक के कर्मियों ने ही दिया। इसके बाद क्रसना लैबोट्री से भी बच्चे के ब्लड ग्रुप को ओ नेगेटिव बता दिया गया।
दरअसल, शहर के ब्लड डोनर्स को जैसे ही पता चला कि अस्पताल में आपातकालीन स्थिति में 15 माह के बच्चे को एबी नेगेटिव ब्लड की आवश्यकता है, तोे तुरंत ही रक्तदाता संदीप कुमार चौधरी ने रक्तदान करने का निर्णय लिया। बताया जा रहा है कि ब्लड बैंक ने तीन बार बच्चे के ब्लड ग्रुप को जांचा। बाद में ड्रॉप्स आफ हाॅप (Drops of Hope) के सदस्यों ने ओ नेगेटिव का भी इंतजाम किया।

एमबीएम न्यूज नेटवर्क के पास प्रयोगशाला द्वारा जारी की गई बच्चे के अलग-अलग ब्लड ग्रुप की रिपोर्टस मौजूद हैं। जानकारों का कहना है कि ओ नेगेटिव ब्लड ग्रुप दुर्लभ (Rare Blood Group) है, ऐसे में इंतजाम कई बार मुश्किल भी हो जाता है। घटनाक्रम में बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या सरकार की प्राधिकृत प्रयोगशाला में मरीजों के सैंपल्स को हलके में लेकर आनन फानन में रिपोर्ट जारी कर दी जाती है। सवाल ये भी है कि क्या सरकार ऐसे गंभीर मामलों में सख्त कदम उठाएगी या नहीं।
इसी बीच एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में स्वास्थ्य विभाग के निदेशक गोपाल बैरी ने कहा कि मामला गंभीर है। उन्होंने कहा कि निदेशालय में इस बारे शिकायत पहुंचती है तो उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। निदेशक ने ये भी बताया कि आईजीएमसी (IGMC) से भी लैब को लेकर शिकायतें मिल रही हैं।
बच्चे के पिता ने कहा कि अस्पताल में दाखिल करने से पहले तीन ग्राम खून था। ब्लड चढ़ने के बाद 8 ग्राम तक पहुंच गया था। उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी।