शिमला, 6 मार्च : ये तेरा खून-ये मेरा खून…ऊपर वाले ने इसमें फर्क नहीं किया तो तू इसमें फर्क करने वाला कौन है, ये एक मशहूर हिन्दी फिल्म में नाना पाटेकर का डायलॉग है। सांप्रदायिक सौहार्द से जुडे़ इस डायलॉग ने हर किसी को भावुक कर दिया था।

लाजमी तौर पर ये डायलॉग इस कारण था, ताकि समाज में धार्मिक सौहार्द बना रहे। हिमाचल प्रदेश के रामपुर से रियल लाइफ में ‘कौमी एकता’ की अनोखी मिसाल सामने आई है। विश्व हिन्दू परिषद द्वारा संचालित ‘श्री सत्य नारायण मंदिर’ में मुस्लिम जोड़े का निकाह पढ़ा गया। पहाड़ी प्रदेश में शायद सांप्रदायिक सद्भाव व आपसी भाईचारे की ऐसी मिसाल पहली बार ही सामने आई होगी।
‘निकाह’ में रामपुर की बेटी व नाहन की दोहती नियामत मलिक दुल्हन बनी तो चंबा के मुस्लिम परिवार का बेटा राहुल शेख बारात लेकर मंदिर में पहुंचा था। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश का नाहन कस्बा मुस्लिम व हिन्दू भाईचारे के लिए देश भर में एक अलग पहचान रखता है। देश के बंटवारे के वक्त भी नाहन शहर नेे आपसी भाईचारे की एक शानदार मिसाल कायम की थी।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि कौमी एकता की ये मिसाल हिन्दू व मुस्लिम समाज की संयुक्त कोशिश से ही संभव होगी। मौलवी ने मंदिर परिसर में निकाह पढ़ा तो बारात का स्वागत व खानपान हिन्दू परंपरा के मुताबिक हुआ। निकाह की रिवायत को एक वकील व दो गवाहों की मौजूदगी में मुकम्मल किया गया।
ठाकुर सत्य नारायण मंदिर ट्रस्ट रामपुर के महासचिव विनय शर्मा ने कहा कि मंदिर का संचालन विश्व हिन्दू परिषद द्वारा किया जाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जिला कार्यालय भी है। संगठनों पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप लगते हैं। मुस्लिम कन्या का निकाह मंदिर परिसर में होना, इस बात का प्रतीक है कि सनातन हमेशा सबको समेटकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

मुस्लिम परिवार ने हिन्दू मंदिरों की शुद्धता की व्यवस्था को समझते हुए निकाह रस्म को किया। कन्या के पिता महेंद्र सिंह मलिक ने कहा कि निकाह के आयोजन में रामपुर शहर की सकारात्मक सोच सामने आई है। भाईचारे का संदेश दिया गया है। उन्होंने बताया कि बेटी ने सिविल इंजीनियरिंग में एमटेक की है। गोल्ड मैडलिस्ट है। दामाद ने सिविल इंजीनियरिंग की है।
दुल्हन के माता पिता सबीहा व सलीम मलिक ने कहा कि निकाह की रस्म को मुस्लिम परंपरा के मुताबिक किया गया। शाकाहारी व्यंजन ही परोसे गए थे। शराब के इस्तेमाल पर पूरी तरह से मनाही थी। आयोजन में विश्व हिन्दू परिषद व मंदिर ट्रस्ट का सकारात्मक सहयोग हासिल हुआ।
नाहन मेडिकल कॉलेज में तैनात दुल्हन की मौसी पाकीजा का कहना था कि परिवार में निकाह तो पहले भी हुए, लेकिन यहां बात ही अलग थी।