शिमला, 4 मार्च : राजकीय कन्या महाविद्यालय शिमला में एक बार फिर छात्र गुटों में हिंसा हुई। कहने को तो यह कन्या महाविद्यालय है, लेकिन आज यहां एसएफआई के कार्यकर्ताओ द्वारा कन्या महाविद्यालय की छात्राओं पर जानलेवा हमला किया गया। वैसे तो शिमला का पुलिस प्रशासन सुदृढ़ कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा की बडे-बडे दावे करता है, लेकिन इनकी पोल तो तब खुली जब दिन दिहाड़े हाथों में डंडे, रॉड, दराट लिए एसएफआई के बाहरी गुंडे नशे के धुत्त में होकर कन्या महाविद्यालय में घुसकर छात्राओं से छेड़छाड़ करते हैं। गाली गलौज करते हैं और उन पर जानलेवा हमला करते हैं।

छात्राओं का आरोप है कि एसएफआई के गुंडों द्वारा कुछ छात्राओं को दो तीन किलोमीटर तक रोड़ों और डंडों से मारते हुए पीछा किया गया। इस सब से पूरे महाविद्यालय में तनाव का माहौल है, और कुछ छात्राएं अभी भी आईजीएमसी में भर्ती हैं। हैरानी की बात है की वहां पढ़ रही एसएफआई की छात्रा कार्यकर्ता भी रोड और डंडों से महाविद्यालय की छात्राओं पर हमला करती रहीं।
घटनास्थल पर मौजूद अभाविप की प्रांत कार्यकारणी सदस्य पर्वी बस्टा ने बताया की शनिवार दोपहर कॉलेज में कुछ छात्रा कार्यकर्ता कॉलेज गेट के पास मोमोज खा रहीं थी। इसी बीच कुछ एसएफआई के आउटसाइडर्स छात्र कार्यकर्ता शराब के नशे में एसएफआई छात्रा कार्यकर्ताओं के साथ वहां पर आते हैं और वहां पर छात्राओं के साथ छेड़छाड़, आंख मारने और अभद्र इशारे करना शुरू करते हैं। फिर छूने की कोशिश करने लगे, जब छात्राओं ने इसका विरोध किया तो उन्होंने दराट, रॉड व डंडों से उन छात्राओं पर हमला कर दिया।
इस हमले में तकरीबन एक दर्जन छात्राओं को गंभीर चोट आई है। कुछ घायल छात्राएं आईजीएमसी में उपचाराधीन हैं। इस सब में एसएफआई के अनिल ठाकुर, सुशील, पवन, नीतीश राजटा, आशीष, रमन, प्रिया, भावना, मोनिका, प्रियंका, अंकिता, आइना, कमल डोगरा, वीना, अंजली, पीहू, विनस, किरण, प्रेरणा, साक्षी, दीक्षा सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने छात्राओं पर जान लेवा हमला किया।
यह घटना शिमला में महिला सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा करता है। जब दिन के उजाले में भी छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं। इस घटना के बाद महाविद्यालय की छात्राएं सहमी हुई हैं और तनाव में भी हैं। पर्वी ने कहा कि एसएफआई को कन्या महाविद्यालय में बैन किया जाए और आउटसाइडर्स गुंडों पर भी कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।