हमीरपुर, 27 फरवरी : भोरंज क्षेत्र के अधिकांश गांवों में पीने के पानी की समस्या के मद्देनजर विधायक सुरेश कुमार जल शक्ति विभाग के अधिकारियों को साथ लेकर स्वयं मेवा बमसन पेयजल योजना के उद्गम स्थल पर जा पहुंचे और समस्या की स्थिति को जाना। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से भोरंज क्षेत्र के गांवों में पीने के पानी की समस्या चली आ रही है। लोग बार-बार विधायक व विभाग के पास अपनी शिकायत लेकर आ रहे हैं।

विधायक सुरेश कुमार ने समस्या की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए जलशक्ति विभाग के मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता व अधिशासी अभियंता सहित सभी फील्ड के कर्मचारियों को पेयजल योजना के उद्गम स्रोत जाहू में तलब किया। समस्या के स्थाई समाधान हेतु मौके पर ही अपने समक्ष कार्रवाई शुरू की। वास्तव में भारी वर्षा व बाढ़ के कारण व्यास नदी का बहाव स्थल बदल कर इस योजना के उद्गम स्थल के विपरीत हो गया है। जिससे जल स्रोतों में पानी का स्तर नीचे चला गया और पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है। जल स्तर को बढाने व स्रोतों को दोबारा भरने के लिए पानी के बहाव को मोड़ने की आवश्यकता है। चार घंटे स्वयं स्रोत स्थल पर रुक कर विधायक ने उद्गम स्रोत को भरने के लिए जेसीबी द्वारा नदी के बहाव को मोड़ने का कार्य आरंभ करवाया।
वर्ष 2008 में 72 करोड़ की लागत से निर्मित,मेवा वमसन पेयजल योजना तत्कालीन सबसे बड़ी व आधुनिक योजना थी जो कि रिकॉर्ड समय में बनी थी। भोरंज व हमीरपुर क्षेत्र के लगभग 158 गांवों को पीने का पानी उपलब्ध करवाती है। समय-समय पर योजना के साथ छेड़छाड़ करके इस पानी को अन्य क्षेत्रों में ले जाने का प्रयास भी होता रहा है। इसी कड़ी में वर्ष 2010 में पानी को धर्मपुर क्षेत्र के गांवों की तरफ मोड़ने पर भी सुरेश कुमार ने एक बड़ा आंदोलन भोरंज क्षेत्र की जनता के साथ मिलकर किया था। इस योजना के जलस्तर को बढ़ाने के लिए भी विधायक सुरेश कुमार कड़ी मेहनत कर रहे हैं। स्वयं स्रोत स्थल पर रुक कर उन्होंने उद्गम स्रोत को भरने के लिए जेसीबी द्वारा नदी के बहाव को मोड़ने का कार्य आरंभ करवाया ताकि भोरंज क्षेत्र के गांवों में व्याप्त पेयजल समस्या का स्थाई समाधान हो सके।
इस मौके पर विधायक सुरेश कुमार ने कहा कि भोरंज क्षेत्र की जनता को पेयजल उपलब्ध करवाना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं और शीघ्र ही समस्या का स्थाई समाधान निकाल लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भोरंज में अतिरिक्त पेयजल भंडारण की आवश्यकता है, क्योंकि समय के साथ साथ पेयजल की खपत बढ़ी है। भंडारण स्रोतों का आकार व जलस्तर दोनों को बढ़ाने की दिशा में कार्य हो रहा है।