नाहन, 26 फरवरी : हिमाचल प्रदेश के नाहन शहर में एक वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. पीटर डिसूजा दो बातों को लेकर विशेष पहचान रखते हैं। मौजूदा समय में भी बगैर फीस के लालच के वो मरीज को एक फोन काॅल पर घर देखने पहुंच जाते हैं। दूसरी खास बात ये है कि 68 की उम्र में फिटनेस के लिए भी पहचाने जाते हैं। स्क्वाॅश के साथ-साथ टेबल टेनिस (table tennis) के खिलाड़ी भी रहे हैं।
‘डिसूजा क्लीनिक’ की शुरुआत 1936 में डाॅ. पीटर के ग्रैंड फादर डाॅ. सेबेस्टियन डिसूजा ने की थी। सिरमौर रियासत के वक्त में डाॅ. सेबेस्टियन राजमाता के फिजिशियन (Physician) के तौर पर नाहन आए थे। नौकरी छोड़ने के बाद डाॅ. पीटर के दादा ने क्लीनिक (Clinic) की शुरूआत की थी। खास बात ये है कि 87 साल बाद भी क्लीनिक में मरीज की जेब नहीं देखी जाती, बल्कि पीड़ा को दूर किया जाता है।

अक्सर ही डाॅ. पीटर के सामने मरीज ठहाके भी मारने लगते हैं, क्योंकि वो बीमारी के मुताबिक महंगी दवाओं को लिखने की बजाय घरेलू नुस्खे बताने लगते हैं। संभव है कि निजी क्षेत्र में ये प्रदेश का सबसे पुराना क्लीनिक होगा। तीसरी पीढ़ी में क्लीनिक को संभाल रहे डाॅ. पीटर भी चाहते तो एक शानदार अस्पताल बना सकते थे, लेकिन शायद इसके लिए व्यवसायीकरण का रास्ता अपनाना पड़ता।
चंद रोज पहले नेशनल मास्टर फैडरेशन द्वारा उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) के वाराणसी में आयोजित पांचवी नेशनल मास्टर गेम्स (5th National Master Games) में डाॅ. पीटर डिसूजा ने सीनियर टेबल टेनिस में हिमाचल (himachal Pradesh) का प्रतिनिधित्व करते हुए दो स्वर्ण, एक कांस्य व एक रजत पदक जीता है। बता दें कि अपने जमाने में डाॅ. पीटर डिसूजा टेबल टेनिस में राष्ट्रीय स्तर पर भी हिमाचल को गौरवान्वित करते रहे हैं।

वाराणसी (varanasi) में 60 प्लस व 65 प्लस की कैटेगरी के एकल मुकाबले में डाॅ. पीटर ने दो स्वर्ण पदक झटके। इसके अलावा 65 प्लस के युगल मुकाबले में कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। इसके अलावा एक रजत भी अपने नाम किया। बेहद ही शालीन व सौम्य स्वभाव के लिए पहचान रखने वाले डाॅ. पीटर डिसूजा ने मेडिकल प्रोफेशन को भी कमर्शियल करने की कोशिश भी नहीं की। बता दें कि पीटर डिसूजा के पिता भी मेडिकल प्रोफेशन से ही जुड़े हुए थे।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में डाॅ. पीटर डिसूजा ने कहा कि वो तीसरी पीढ़ी में क्लीनिक को संभाल रहे हैं। एक सवाल के जवाब में डाॅ. पीटर ने कहा कि विरासत में मिले मेडिकल प्रोफेशन के सिद्धांतों की पालना करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिता ने भी दादा के संस्कारों को आगे बढ़ाया। पिता से मिली विरासत को संभालने का प्रयास किया है।