मंडी, 25 फरवरी : छोटी काशी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के अंतिम दिन इलाका द्रंग के उत्तरशाल से शिवरात्रि में शिरकत करने वाले प्राचीन देवता देव आदि ब्रह्मा ने मंडी की परिक्रमा कर कार बांधी। इस दौरान शहर की सुरक्षा का वादा करते हुए उन्होंने शहर वासियों को सभी तरह की बीमारियों व असुरी शक्तियों से निजात दिलवाने का वादा किया।

बता दें कि यह एक पौराणिक और प्राचीन परंपरा है जो विरासत काल से चली आ रही है। जिसका हर वर्ष परंपरा के साथ निर्वहन किया जाता है। सर्व देवता समिति प्रधान शिव शर्मा ने बताया कि हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेला के समापन पर देव आदि ब्रह्मा जी शहर की परिक्रमा लगाते हैं।
यह कार्यक्रम मंडी के ऐतिहासिक सिद्ध काली मंदिर से शुरू होकर ऐतिहासिक सेरी मंच पर समाप्त होता है। इस दौरान देवता के गोल पुजारी देवली आटा हवा में उछालते हैं। इसकी यह मान्यता है कि यह आटे की ही सुरक्षा दीवार देव आदि ब्रह्मा द्वारा मंडी शहर में लगाई जाती है।
आदि देव ब्रह्मा की उत्पत्ति की कहानी
आदि देव ब्रह्मा टिहरी उतरशाल का मंदिर कटौला के समीप गांव टिहरी में स्थित है। श्री देव आदि ब्रह्मा की उत्पत्ति प्राचीनतम मानी गई है। जिसके बारे में गाथाओं में ही उल्लेख मिलता है। बुजुर्गों के अनुसार देवता एक 6 माह की कन्या को उस समय मिला था जब उसके माता पिता खेत में काम कर रहे थे। बच्ची खेत में खेल रही थी और उसके हाथ में एक खिलनी थी। खेलते- खेलते खिलनी में जमीन से एक मोहरा आ गया जो श्री देव आदि ब्रह्मा जी का था। आज भी उस मोहरे के सिर में खिलनी का छेद है। जोकि रथ में विराजमान है। जहां मोहरा प्रकट हुआ वहां पर पंडितों का गांव था इस गांव में 60 परिवार रहते थे।
बताया जाता है कि मंडी निवासी एक भयंकर बीमारी के शिकार हो गए थे। उस समय मंडी की रक्षा का जिम्मा श्री देव आदि ब्रह्मा ने संभाला और एक बकरा साथ लेकर मंडी की परिक्रमा सेरी मंच से आरंभ करके पूरे नगर से होकर सेरी मंच पर इसका समापन किया। इसके पश्चात लोगों को बीमारी से छुटकारा मिल गया। तब से लेकर आज तक महाशिवरात्रि के दौरान यह परिक्रमा मंडी वासियों की सुख समृद्धि के लिए देवता द्वारा की जाती है।